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Farmers Stir: आंदोलनकारी किसान संगठनों और मोदी सरकार के बीच आज होगी चौथे दौर की बातचीत, जानिए मांगों हल निकलने में कहां फंस रहा पेच

नई दिल्ली। किसान संगठनों का आंदोलन जारी है। किसान संगठनों की मांगों के संबंध में मोदी सरकार के मंत्री 3 बार उनके नेताओं से बात कर चुके हैं, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। आज किसान संगठनों और मोदी सरकार के मंत्रियों के बीच चौथे दौर की बातचीत होनी है। इस बातचीत में केंद्र की तरफ से कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल और नित्यानंद राय हिस्सा लेंगे। चंडीगढ़ में मोदी सरकार के मंत्रियों और किसान संगठनों के नेता बातचीत करने वाले हैं। सभी को उम्मीद है कि आज होने वाली बातचीत में किसान संगठनों की कुछ मांगों पर सहमति बन सकती है। सुनिए आज की बैठक से पहले किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने क्या कहा।

किसान संगठनों को आंदोलन शुरू किए 6 दिन हो चुके हैं। किसानों ने दिल्ली की तरफ कूच किया था, लेकिन हरियाणा सरकार ने पंजाब से लगते शंभु बॉर्डर पर उनको रोक लिया। हरियाणा सरकार ने बड़ी तादाद में पुलिस तैनात कर रखी है। आंदोलनकारी किसान दिल्ली जाकर प्रदर्शन करने की मांग कर रहे हैं। वहीं, हरियाणा सरकार का कहना है कि पिछली बार की तरह दिल्ली जाकर ये हुड़दंग करेंगे और देश की राजधानी की सीमाओं को जाम करेंगे। इसी वजह से उनको शंभु बॉर्डर पार करने की मंजूरी नहीं दी जा सकती। आंदोलनकारी किसानों में ज्यादातर पंजाब के हैं। हरियाणा और अन्य राज्यों के किसानों की संख्या कम ही है।

आंदोलनकारियों की मांग एमएसपी पर कानूनी गारंटी की है। साथ ही पिछले किसान आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए केस वापस लेने, बिजली संबंधी कानून को रद्द करने, 58 साल से ऊपर की उम्र के किसानों को हर महीने 10000 रुपए की पेंशन, विदेशी अनाज और दुग्ध प्रोडक्ट पर ज्यादा आयात कर वगैरा की भी मांग वे कर रहे हैं। वहीं, कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने पहले ही कहा है कि कुछ मांगों पर सरकार सहमत है, लेकिन एमएसपी की कानूनी गारंटी बिना अच्छे से विचार किए बगैर नहीं दी जा सकती। वहीं, किसान संगठन कह रहे हैं कि एमएसपी पर कानूनी गारंटी मिल जाए, तो उनकी बड़ी मांग पूरी हो जाएगी। कुल मिलाकर इसी एक मांग पर किसान संगठनों के अड़े रहने के कारण सारी बातचीत विफल हो रही है।

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