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पायलट के समर्थन में 3 राज्यों के गुर्जर करने जा रहे हैं कुछ ऐसा जो कांग्रेस को परेशानी में डाल सकता है

नई दिल्ली। राजस्थान में छिड़ी सियासी लड़ाई में अशोक गहलोत खेमा अभी भले ही राहत की सांस ले रहा हो लेकिन सचिन पायलट के समर्थन में अब गुर्जर समाज खुलकर सामने आ गया है। आपको बता दें कि अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट की आपसी लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही है लेकिन इस बीत तीन राज्यों के गुर्जर पायलट के समर्थन में गुरुग्राम में पंचायत करने जा रहे हैं जो कांग्रेस आलाकमान के मुसबीत खड़ी कर सकती है।

बता दें कि हरियाणा के गुरुग्राम में सचिन पायलट के समर्थन में पंचायत की जाएगी, जिसमें कई राज्यों से गुर्जर समाज के लोग शामिल होंगे। इस पंचायत को लेकर बताया जा रहा है कि गुरुग्राम के रीठौज गांव में ये पंचायत 26 जुलाई को आयोजित की जाएगी। इसमें हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के गुर्जर समाज के लोग शामिल होंगे, जिसमें सचिन पायलट के समर्थन की बात की जाएगी।

प्रतीकात्मक तस्वीर

आपको बता दें कि गुर्जर समाज में सचिन पायलट का काफी दबदबा है, उनके पिता राजेश पायलट भी बड़े गुर्जर नेता रहे हैं। ऐसे में अब जब सचिन पायलट अपने राज्य में संकट में हैं और उन्हें इस तरह साइडलाइन किया जा रहा है, एक बार फिर गुर्जर समाज सचिन पायलट के पक्ष में खड़ा है। हालांकि, कोरोना संकट के बीच भीड़ ना इकट्ठा करने का नियम अभी भी लागू है। ऐसे में इस पंचायत के लिए इजाजत किस तरह मिलती है और कितने लोग शामिल होते हैं, इसपर भी नजरें बनी रहेंगी।

बता दें कि सचिन पायलट अपनी तीन मांगों के साथ कांग्रेस आलाकमान के सामने अपना विरोध लेकर खड़े हुए थे। इन मांगों में अशोक गहलोत को मुख्यंमत्री पद से हटाना भी शामिल था। लेकिन कांग्रेस की तरफ से इसे नहीं माना गया। उल्टा पायलट को ही उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया। इसके बाद राजस्थान में सुरक्षा बढ़ाई गई थी। क्योंकि 2018 में जब सचिन पायलट की जगह अशोक गहलोत सीएम बन गए थे, तब सचिन समर्थकों ने प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किया था। ऐसे में इस बार भी सरकार अलर्ट पर थी।

गौरलतब है कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों ही राजस्थान में अलग-अलग समुदाय से आते हैं, जिनकी एक-दूसरे से कम ही बनती है। ऐसे में दोनों नेताओं के बीच की ये तल्खी भी अब जमीनी स्तर तक दिख रही है। गौरतलब है कि अब अलग-अलग मोर्चों पर ये लड़ाई लड़ी जा रही है। एक ओर अदालत का रास्ता अपनाया गया, तो दूसरी ओर राजनीतिक दांव-पेच जारी है और अब जनता का समर्थन खुले तौर पर लिया जा रहा है।

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