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उज्जैन: पुलिस के हत्थे चढ़े कुख्यात अपराधी विकास दुबे ने उगले कई राज, सुनकर कांप उठेंगे आप

नई दिल्ली। कानपुर में एक रात में 8 पुलिस वालों की हत्या फिर 100 घंटे से ज्यादा समय से पुलिस को चकमा देना। उसके पांच से ज्यादा साती पुलिस एनकाउंटर में मारे जा चुके थे। लेकिन फिर भी वह कभी हरियाणा, कभी मध्य प्रदेश में छिपता रहा और बाबा महाकाल के मंदिर में आखिर वह मध्य प्रदेश पुलिस के हत्थे चढ़ गया। यहां पुलिस की टीम ने जब उससे पूछताछ की तो उसने कई चौंकाने वाले खुलासे किए और यह तक बता दिया कि उसने यह सब क्यों किया। सूत्रों को मिली जानकारी के अनुसान पुलिस वालों के शव के साथ वह जो करना चाहता था वह सुनकर आपकी रूह कांप जाएगी।

सूत्रों की मानें तो गैंगस्‍टर विकास दुबे ने कबूल किया है कि घटना के बाद घर के ठीक बगल में बने कुए के पास पांच पुलिसवालों की लाशों को एक दूसरे के ऊपर रखा गया था जिससे उनमें आग लगा कर सबूत नष्ट कर दिये जाएं। जबकि आग लगाने के लिए घर में गैलनों में तेल रखा गया था। लेकिन लाशें इकट्टठा करने के बाद उसे मौका नहीं मिला और फिर वो फ़रार हो गया।

सूत्रों की मानें तो फर्जी आई कार्ड के सहारे विकास दुबे घटना वाले दिन के बाद से घूम रहा था। उज्जैन के महाकाल मंदिर में पहुंचकर उसने सुरक्षाकर्मियों को पहले अपना नाम शुभम बताया नवीन पाल नाम के आई कार्ड दिखाया। बाद में पूछताछ में उसने बताया कि वो ही विकास दुबे है। विकास दुबे ने वीआईपी टिकट जो कि 250 रुपये का आता है वो ख़रीदकर उज्जैन में बाबा महाकाल के दर्शन किये।

उसने बताया कि उसको डर था कि पुलिस उसका एनकाउंटर करने आ रही है, इसलिये उसने फ़ायरिंग की। विकास ने साफ तौर पर कहा कि हां पुलिस के सूत्रों से ही उसको रेड की जानकारी मिली थी। पुलिस के लोग उसके सम्पर्क में थे। विकास ने कहा कि उसको पुलिस की होनेवाली रेड के बारे में काफ़ी पहले से ही जानकारी थी, लिहाज़ा उसने अपने साथियों को बुला लिया था। सभी को कहा था कि कुछ ख़तरा है इसलिये हथियार लेकर आना।

सूत्रों की मानें तो विकास का कहना है कि आमतौर पर उसके साथी वैसे भी हथियार लेकर ही आसपास जाते थे। लेकिन घटना के एक दिन पहले ही उसने लोगों को बोल दिया था कि हथियार लेकर आए। सूत्रों की मानें तो विकास दुबे ने पुलिस के लूटे हुये हथियारों के बारे में भी बताया और कहा है कि वो जगह दिखा सकता है।

सूत्रों की मानें तो उसने अपने सभी साथियों को अलग अलग भागने के लिये कहा था।  गांव से निकलते वक्त ज्यादातर साथी जिधर समझ में आया भाग गये। विकास ने पुलिस को बताया हम लोगों को सूचना थी कि पुलिस भोर सुबह आयेगी, लेकिन पुलिस रात में ही रेड करने आ गयी। हमने खाना भी नहीं खाया था। जबकि सबके लिये खाना बन चुका था।

सूत्रों ने आगे ये भी कहा कि घटना के अगले दिन मारा गया विकास का मामा जेसीबी मशीन का इंचार्ज था लेकिन वो जेसीबी नहीं चला रहा था
रात में राजू नाम के एक साथी ने जेसीबी मशीन को बीच सड़क मे पार्क किया था। मामा को अगले दिन पुलिस ने एनकाउंटर में मार दिया गया था। विकास दुबे ने कहा कि चौबेपुर थाना ही नहीं बाकी के थानों में भी उसके मददगार थे, जो तमाम मामलों में उसकी मदद करते थे।विकास ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान चौबेपुर थाने के तमाम पुलिसवालों का मैंने बहुत ख़्याल रखा। सबको खाना-पीना खिलाना और दूसरी मदद भी करता था।

सूत्रों की मानें तो विकास ने बताया कि उसको सूचना मिली थी उस हिसाब से 3 थानों की पुलिस दबिश देने आ रही थी। उसने उन सब पर निशाना साधने के लिए छतों पर अपने गैंग के लोगों को तैनात किया था। जब पुलिस आयी तो गांव के मुखबिर ने फोन करके जानकारी दी कि पुलिस की गाड़ियां गांव में आ चुकी है और फिर वो अलर्ट हो गया। लगभग 11 बजे उसने जेसीबी गांव के रास्ते की ओर लगा दी थी।  विकास को अंदाजा था कि पुलिस का बैकअप 4 बजे से पहले नहीं आएगा लेकिन दबिश में बचे हुए पुलिसकर्मियों ने दबिश की जानकारी अफसरों को पहुंचाई। वायरलेस पर मैसेज करने के बाद बैकअप रवाना हो गया था। ऐसे में विकास ने सबको भाग जाने को कहा लेकिन रणनीति के तहत सब अलग-अलग भागे थे।

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