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Ayodhya Ram Temple Consecration: वाल्मीकि रामायण में इस तरह के बताए गए हैं भगवान राम, जानिए अयोध्या के मंदिर में किस रूप में देंगे भक्तों को दर्शन

अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 22 जनवरी 2024 को भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह रखा है। भगवान रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा खुद पीएम नरेंद्र मोदी करने वाले हैं। अयोध्या में इसके लिए भव्य राम मंदिर का भूतल पूरी तरह तैयार हो चुका है। भूतल में बने गर्भगृह में ही भगवान रामलला की प्रतिमा की स्थापना होनी है। भगवान रामलला की ये प्रतिमा 51 इंच की होगी। यानी भगवान राम को 5 साल की आयु का दिखाया जाएगा। इसके लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 3 अलग-अलग कारीगरों से रामलला की मूर्तियां बनवाई हैं। अब इन 3 में से एक मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का काम पीएम मोदी करेंगे।

ताजा जानकारी ये है कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से जुड़े लोगों ने भगवान रामलला की ये तीनों प्रतिमा देखी हैं और इनमें से एक पर सहमति भी बन गई है। तो चलिए आपको बताते हैं कि राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की किस तरह की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होगी। पहले आपको बताते हैं कि वाल्मीकि रामायण में भगवान राम का रूप किस तरह का बताया गया है। वाल्मीकि रामायण के मुताबिक भगवान राम की आंखें कमल की तरह थीं। वो आजानुबाहु थे, यानी उनके हाथ घुटनों तक लंबे थे। वाल्मीकि रामायण के मुताबिक भगवान राम के चेहरे पर हर वक्त निश्छल मुस्कुराहट बनी रहती थी। इसके अलावा भगवान राम श्यामवर्ण के थे।

मीडिया की खबरों के मुताबिक वाल्मीकि रामायण में जिस तरह भगवान राम के बारे में जानकारी दी गई है, ठीक उसी तरह की 3 मूर्तियों को कारीगरों ने बनाया है। जानकारी के मुताबिक जिस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अभी सहमति बनी है, उसमें रामलला की नीलकमल जैसी आंखें, घुटनों तक लंबे हाथ, चांद की तरह चेहरा और दैवीय सहजता और गंभीरता के दर्शन भक्तों को होंगे। अब तक एक अस्थायी मंदिर में भगवान रामलला की प्रतिमा की पूजा होती आ रही है। इस अस्थायी मंदिर में भगवान रामलला के साथ ही सिंहासन पर उनके भाई लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की मूर्तियों की भी पूजा होती है। इन मूर्तियों को भी गर्भगृह में स्थापित कर चल प्रतिमा के तौर पर रखा जाएगा। यानी विशेष त्योहार और पर्व पर इन मूर्तियों को जनता के बीच घुमाए जाने की योजना बनाई गई है।

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