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कोरोना योद्धाओं को खुश रखने की जरूरत, जंग के दौरान सैनिकों को दुखी नहीं रख सकते : SC

नई दिल्ली। कोरोनोवायरस महामारी के दौरान कथित रूप से डॉक्टरों को वेतन का भुगतान न किए जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि यह एक तरह का युद्ध है और आप सैनिकों को युद्ध के दौरान दुखी नहीं रख सकते। न्यायाधीश अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एमआर शाह की पीठ ने कहा, “यह एक तरह का युद्ध है। आप युद्ध के दौरान सैनिकों को दुखी नहीं रख सकते। इसलिए कोरोना योद्धाओं को सुरक्षित महसूस कराने के लिए और अधिक प्रयास करें।”

पीठ ने उन रिपोर्ट पर गौर किया, जिनमें आरोप लगाया गया था कि डॉक्टरों को भुगतान नहीं किया गया है। पीठ ने कहा, “क्या आप देख सकते हैं कि डॉक्टर हाल ही में हड़ताल पर थे? इसके लिए अदालत के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। आपको अधिक करने की जरूरत है। डॉक्टरों के संबंध में यह चिंता का विषय है।”

पीठ ने केंद्र सरकार को यह भी सुझाव दिया कि वह इस मुद्दे को हल करने के लिए अतिरिक्त धनराशि का बंदोबस्त कर सकता है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ के समक्ष दलील दी कि वह इस याचिका का विरोध नहीं कर रहे हैं और यह एक प्रतिकूल मुकदमा नहीं है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील केवी विश्वनाथन ने कहा कि सरकारी डॉक्टरों के वेतन में कटौती की जा रही है, और निजी अस्पतालों को भी वेतन में कटौती नहीं करनी चाहिए। मेहता ने कहा, “ऐसा लगता है कि आपने एक तदर्थ प्रतिनिधित्व की समीक्षा की है।”

न्यायाधीश शाह ने कहा, “आप आधे-अधूरे मन से काम नहीं कर सकते।” पीठ ने जोर देकर कहा कि केंद्र को और अधिक करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि डॉक्टरों की चिंताओं का समाधान किया जाए। शीर्ष अदालत मामले की आगे की सुनवाई 17 जून को करेगी।

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