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ISRO’s GSLV-F12 mission: भारत ने लॉन्च किया नेक्स्ट जेनरेशन नेविगेशन सैटेलाइट, अब मिलेगी बेहतर लोकेशन सर्विस

ISRO's GSLV-F12 mission: ISRO के प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ ने बताया कि फ़िलहाल हम सात पुराने नाविक सैटेलाइट्स के सहारे काम चला रहे थे लेकिन इन सात सैटेलाइट्स में से केवल 4 ही काम कर पा रहे हैं। तीन पूरी तरह से ख़राब हो चुके थे।ISRO's GSLV-F12 mission: ISRO के प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ ने बताया कि फ़िलहाल हम सात पुराने नाविक सैटेलाइट्स के सहारे काम चला रहे थे लेकिन इन सात सैटेलाइट्स में से केवल 4 ही काम कर पा रहे हैं। तीन पूरी तरह से ख़राब हो चुके थे।

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 29 मई यानि की आज सुबह 10 बजकर 42 मिनट पर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC-SHAR) से नए ज़माने के आधुनिक नेविगेशन सैटेलाइट को लॉन्च किया। इस सैटेलाइट का नाम NVS-01 है और इसे SLV-F12 रॉकेट के जरिए लॉन्च पैड-2 से छोड़ा गया।

ISRO के प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ ने बताया कि फ़िलहाल हम सात पुराने नाविक सैटेलाइट्स के सहारे काम चला रहे थे लेकिन इन सात सैटेलाइट्स में से केवल 4 ही काम कर पा रहे हैं। तीन पूरी तरह से ख़राब हो चुके थे। अगर हम इन तीनों को बदलने की कोशिश करते तो बाकी के 4 सैटेलाइट्स भी ख़राब हो जाते। इसीलिए हमने पांच नेक्स्ट जेनरेशन नाविक सैटेलाइट्स एनवीएस को छोड़ने का निर्णय लिया।

इंडियन रीजनल नेविगेशन सिस्टम (IRNSS) ने पहले सात NavIC सैटेलाइट छोड़े थे जो कि सात नक्षत्रों सप्तऋषि की तरह काम कर रहे थे। इनकी ही वजह से भारत में लोगों को नेविगेशन सर्विसेज मिल रही थी। लेकिन इस सर्विस का इस्तेमाल सीमित दायरे में सेना, विमान सेवाएं आदि ही कर पा रहे थे। वहीं नाविक के सात में से तीन सैटेलाइट ने काम करना बंद कर दिया था। इसलिए इसरो ने पांच नए सैटेलाइट्स का नक्षत्र बनाने का निर्णय लिया।

NVS-01 सैटेलाइट को धरती की जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट से 36,568 किलोमीटर ऊपर तैनात किया जाएगा। धरती के चारों ओर ये सैटेलाइट अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाएगा। लॉन्च के क़रीब 18 मिनट में ही जीएसएलवी रॉकेट इस सैटेलाइट को धरती के क़रीब 251.52 किलोमीटर ऊपर छोड़ देगा। इसके बाद ये सैटेलाइट अपनी कक्षा तक की यात्रा ख़ुद तय करेगा। सैटेलाइट अपने थ्रस्टर्स की बदौलत अपने निर्धारित कक्षा तक पहुंच जाएगा।

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