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Delhi: केंद्र के अध्यादेश को लेकर केजरीवाल के समर्थन में उतरे KCR, बीजेपी पर ऐसे साधा निशाना

नई दिल्ली। केंद्र के अध्यादेश के ख़िलाफ़ दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल मुख्तलिफ विरोधी दलों के नेताओं से मुलाकात कर समर्थन मांग रहे हैं और मोदी सरकार के विरोध में माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। अब तक वो कई विपक्षी दलों से मुलाकात कर चुके हैं। जिसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, उद्धव ठाकरे सहित अन्य नेता शामिल हैं। सियासी विश्लेषकों का मानना है कि सीएम केजरीवाल विभिन्न सियासी दलों से मुलाकात करके जहां अपने लिए आगामी लोकसभा चुनाव में दमखम से उतरने के लिए अपनी जमीन तैयार कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ केंद्र के अध्यादेश को लेकर जारी सियासी घमासान के बीच विरोधी दलों से अपने समर्थन की मांग कर रही है। इस मसले को लेकर सीएम केजरीवाल अब तक कई विपक्षी दलों से मुलाकात कर चुके हैं, जिसमें से अधिकांश ने अध्यादेश मामले में उनका समर्थन ही किया है।

आज इसी कड़ी में सीएम केजरीवाल ने तेलंगाना का रूख किया। जहां उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव से हुई। दोनों के बीच अभी हाल ही में लाए गए केंद्र के अध्यादेश को लेकर बात हुई। इस बीच के चंद्रशेखर ने अध्यादेश के मामले को लेकर सीएम केजरीवाल का समर्थन किया। उन्होंने केंद्र द्वारा अध्यादेश पारित कराए जाने के कदम की निंदा की और कहा कि ऐसा करके सरकार संविधान के नियमों की धज्जियां उड़ा रही है। इस बीच केसीआर ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि हम मांग करते हैं कि पीएम मोदी का अपना अध्यादेश वापस ले लेना चाहिए। यह संविधान का उल्लंघन की है, जिसकी हम आलोचना करते हैं।

यह एक प्रकार से सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है। सीएम केजरीवाल ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि बीत 8 सालों में केंद्र सरकार ने दिल्ली को अपंग बनाकर रखा है। हमारी आठ साल की लड़ाई के बाद जब दिल्ली की जनता की सुप्रीम कोर्ट में जीत हुई तो केंद्र सरकार से रहा नहीं गया और उपराज्यपाल की शक्तियों को बढ़ाने की दिशा में अध्यादेश लाया गया है, जिसे अब हमने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है। उधर, केंद्र के अध्यादेश पर सीएम केजरीवाल ने सवाल उठाते हुए कहा कि देश के लोग कह रहे हैं कि हमारे प्रधानमंत्री सुप्रीम कोर्ट की बात नहीं सुनते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अब यह लोग संवैधानिक प्रणाली की ध्वस्त करने पर आमादा हो चुके हैं। बहरहाल, अब आगामी दिनों में अध्यादेश मामले में अपनी सरकार की जीत सुनिश्चित कराने के लिए वो क्या कुछ कदम उठाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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