नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की नजर अब अपनी अब अपनी पार्टी का विस्तार करने में जुटे हैं। पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election) में एकतरफा जीत से गदगद हुए केजरीवाल की अब नजर गुजरात (Gujrat)और हिमाचल प्रदेश (Himachal Pardesh) पर भी है। अब आने वाले दिनों में देखना होगा कि वहां क्या कर पाते हैं। लेकिन इससे पहले बात करते हैं दिल्ली के राजेन्द्र नगर उपचुनाव(Rajendra Nagar By-Election) की। राजेंद्र नगर सीट पर होने वाले उपचुनाव में अगर आम आदमी पार्टी जीत दर्ज करती हैं तो उससे कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता हैं, लेकिन अगर राजेंद्र नगर के उपचुनाव में ‘आप’ हार जाती है, तो इससे उनकी छवि पर काफी गहरा प्रभाव पड़ेगा। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि आमतौर पर उपचुनाव के नतीजे सत्ताधारी दल के पक्ष में ही होते हैं। इसके विपरीत यदि दुर्गेश पाठक भाजपा के राजेश भाटिया से हार जाते है, तो ऐसे में देशव्यापी स्तर पर काम कर रही दिल्ली सरकार में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ सकती है।
आइए अब समझते हैं कि अगर केजरीवाल की पार्टी राजेंद्र नगर के उपचुनाव को हार जाती हैं, तो इस स्तिथि में उनको क्या प्रभाव पड़ सकते हैं।
पार्टी के विस्तार करने पड़ पड़ेगा प्रभाव
राजेंद्र नगर उपचुनाव को हारने पर केजरीवाल को जो सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ेगा, वो है उनकी पार्टी को विस्तार करने वाली नीति पर रुकावट आएगी। बता दें केजरीवाल पिछले कई महीनों से ‘आप’ का विस्तार करने में जुटे हैं। पंजाब में सरकार बनाने के बाद केजरीवाल एंड कंपनी काफी उत्तसाहित हैं। जिसके चलते वो विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए कभी हिमाचल, तो कभी गुजरात में नजर आते रहते हैं। ऐसे में यदि उनकी पार्टी राजेंद्र नगर के उपचुनाव में हारती हैं, तो उनके प्लॉन को बड़ा झटका लगेगा।
छोटी जीत से बीजेपी को बड़ा फायदा
दिल्ली की सत्ता से दूर रही बीजेपी यदि उपचुनाव में जीत दर्ज करती हैं, तो ऐसी स्थिति में वह आम आदमी पार्टी को घेरने की कोशिश करेगी। इसके अलावा बीजेपी इस हार का बहुत बड़ा फायदा भी उठा सकती है, क्योंकि केजरीवाल के दिल्ली वासियों को ‘फ्री’ प्लान को भी प्रभाव पड़ेगा और इसका आने वाले दिनों में सीधा-सीधा फायदा बीजेपी को होगा।