नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल की बैठक (GST Council Meeting) में केंद्र सरकार के राज्यों को दिए गए विकल्पों पर विचार करने के बाद दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को एक पत्र लिखा है। इस पत्र के माध्यम से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) ने वित्तीय समस्याओं का उल्लेख किया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा, “भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने जो दो विकल्प दिए गए हैं, जिनमें राज्यों को कर्ज लेने और फिर पुनर्भुगतान करने के लिए कहा गया है, इससे राज्यों पर भारी बोझ पड़ेगा।”
केजरीवाल ने कहा, “जीएसटी परिषद को केंद्र को अपनी ओर से कर्ज लेने के लिए अधिकृत करने पर विचार करना चाहिए और 2022 से आगे उपकर संग्रह की अवधि बढ़ानी चाहिए।”
Delhi CM Arvind Kejriwal has written to the PM over GST compensation to States. The letter states that the 2 options given by the Ministry of Finance, which require the States to borrow loans and then meet the repayment liabilities will put an onerous burden on the States. pic.twitter.com/MwJtpibBFE
— ANI (@ANI) September 1, 2020
27 अगस्त को जीएसटी परिषद ने राज्यों को अपने जीएसटी राजस्व की कमी को पूरा करने के लिए कर्ज लेने के दो विकल्पों की पेशकश की थी, क्योंकि कार और तंबाकू जैसी वस्तुओं से प्राप्त जीएसटी उपकर इस वित्तीय वर्ष की भरपाई के लिए पर्याप्त नहीं था। राज्य सरकारें एक विशेष विंडो के माध्यम से या तो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के माध्यम से ऋण ले सकती हैं या बाजार से ऋण उठा सकती हैं।
जीएसटी सुधार को भारत के अप्रत्यक्ष कर ढांचे में ऐतिहासिक सुधार करार देते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने पत्र में कहा, “जीएसटी संग्रह में कमी को पूरा करने के लिए राज्यों को जीएसटी मुआवजे का आश्वासन उन स्तंभों में से एक है, जिन पर जीएसटी की पूरी इमारत टिकी हुई है। सभी राज्य मिलकर उस अभूतपूर्व स्थिति को दूर करेंगे, जिसे कोविड-19 महामारी ने सामूहिक रूप से देश के सामने लाया है।”
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा, “मैं कहना चाहूंगा कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय की तरफ से पेश किए गए कर्ज लेने के दो विकल्प, जो प्राथमिक रूप से राज्यों को उधार लेने के लिए कहता है और फिर देनदारियों का पुनर्भुगतान करने से राज्यों पर अधिक बोझ डाल देगा, जो कि राजस्व संग्रहों में कमी और कोविड-19 की प्रतिक्रिया से उत्पन्न व्यय की बढ़ती प्रतिबद्धता के कारण वित्तीय संकट से गुजर रहा है। वस्तु एवं सेवा कर (राज्यों को मुआवजा अधिनियम, 2017) के 101वें संशोधन अधिनियम, 2016 के तहत जीएसटी को लागू करने के कारण होने वाले राजस्व के नुकसान पर राज्यों को मुआवजा देने का प्रावधान किया गया है। जीएसटी के लागू होने और कोविड-19 महामारी के कारण होने वाले नुकसान के बीच एक आर्टिफिशियल डिस्टिंग्शन मुआवजा अधिनियम की भावना के खिलाफ है और यह केंद्र एवं राज्यों के बीच विश्वास की कमी पैदा करेगा, जिससे भविष्य में राज्यों को इस तरह के बड़े राष्ट्रीय लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एक साथ आने में संकोच होगा। “