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Defamation Case: सिसोदिया को महंगा पड़ा CM हिमंत सरमा के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाना, AAP नेता को लगा तगड़ा झटका

Manish Sisodiaya

नई दिल्ली। चलिए मान लेते हैं कि भारतीय संविधान ने आपको मौलिक अधिकारों के तहत अभिव्यक्ति की आजादी दी है। इस आजादी के तहत आपको किसी भी मसले पर अपनी राय सार्वजनिक करने का पूरा अधिकार है, लेकिन इसके बावजूद अभिव्यक्ति की आजादी की परिधि में भी कुछ सीमाएं निर्धारित की गईं हैं, जिसका पालन करने के लिए आप बाध्य होते हैं। अगर आप इन निर्धारित सीमाओं का अतिक्रमण करेंगे, तो संविधान में आपको सजा दिलाने हेतु प्रविधान भी तय किए गए हैं। कुछ ऐसे ही प्रविधानों की रडार में वर्तमान में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया आ गए हैं। आइए, आगे आपको पूरा माजरा विस्तार से बताते हैं।

 

दरअसल, कोर्ट ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा द्वारा दाखिल किए गए मानहनि के मुकदमे को खारिज करने से साफ इनकार कर दिया। सिसोदिया ने कोर्ट से इस मानहानि को खारिज करने की मांग की थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसी स्थिति में जब एक सरकारर कोरोना काल में लोगों के हितों की दिशा में कदम उठा रही थी, तो आप उस सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रहे थे।

कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे वक्त में जब सरकार कोरोना काल में लोगों की मदद करने की दिशा में कदम उठा रही थी, तो कुछ लोग सिर्फ और सिर्फ अपने राजनीतिक फायदे के लिए सरकार को आड़े हाथों ले रही थी, लेकिन वह समय किसी पर भी निशाना साधने का नहीं था, बल्कि एक-दूसरे की मदद करने का था। इस बीच डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कोर्ट में दलील दी कि उन्होंने हिमंत बिस्वा शर्मा को कभी-भी भ्रष्ट राजनेता की संज्ञा नहीं दी, बल्कि उनके द्वारा पीपीई किट को लेकर किए गए अनुबंध पर सवाल उठाए थे।

आपको बता दें, कोरोना काल में मनीष सिसोदिया ने हिमंत बिस्वा शर्मा पर पीपीई किट को लेकर किए गए अनुबंध को लेकर सवाल उठाए थे। इस बीच सिसोदिया ने हिमंत बिस्वा शर्मा पर कई आरोप भी लगाए थे। जिसे लेकर सिसोदिया की तरफ हिमंत के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था। बता दें, हिमंता के खिलाफ सिसोदिया की तरफ से 100 करोड़ रुपए का मानहानि का केस दर्ज किया गया था। ध्यान रहे, इससे पूर्व मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा के वकील ने कहा था कि जेसीबी इंडस्ट्रीज पीपीई किट की खरीद के लिए की गई बोली में किसी भी प्रकार का हिस्सा नहीं लिया था।

कोर्ट ने यह भी कहा कि अभी तक ऐसा कोई भी तथ्य प्रकाश में नहीं आया है, जिससे यह जाहिर हो सकें कि हिमंत बिस्वा शर्मा की तरफ से इस बोली में हिस्सा लिया गया था। बहरहाल, अब जिस तरह से कोर्ट ने सीएम सिसोदिया की मांग खारिज की है, उससे आप नेता के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। बहरहाल, अब यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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