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Agniveer Scheme: सेना की ‘अग्निवीर योजना’ से युवाओं को होंगे कई फायदे, लेकिन विरोधी हमेशा की तरह कर रहे प्रोपोगेंडा

indian army

नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने सेना के तीनों अंगों में भर्ती के लिए ‘अग्निवीर’ योजना शुरू की है। इस योजना के तहत सेना, नौसेना और वायुसेना में युवाओं को 4 साल तक नौकरी करनी होगी। योजना के तहत भर्ती होने वाले युवाओं में से 25 फीसदी को सेना के तीनों अंगों में भविष्य में भी रखा जा सकता है। इस योजना का काफी विरोध भी हो रहा है। तमाम विपक्षी दलों ने योजना पर सवाल खड़े किए हैं। बिहार में तो तमाम जगह उग्र युवा प्रदर्शन तक कर रहे हैं। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि क्या वाकई इस योजना से युवाओं को नुकसान होने वाला है, या उन्हें भविष्य में फायदा मिल सकता है? चलिए इसी की पड़ताल कर लेते हैं।

सबसे पहले जानते हैं कि युवाओं को सेना के तीनों अंगों में अग्निवीर बनने पर क्या हासिल होगा? इसका जवाब है कि अगर कोई युवा 17 साल की उम्र में सेना में इस योजना के तहत शामिल होता है, तो 22 साल की उम्र में रिटायर होने पर भी उसके हाथ में करीब 12 लाख रुपए होंगे। सीमा पर देशसेवा करते हुए अगर कोई शहीद हुआ, तो उसके परिवार को 48 लाख रुपए मिलेंगे। इसके साथ ही अग्निवीर योजना के तहत शहीद होने वाले जवान की बची हुई सर्विस की तनख्वाह भी परिवार को मिलेगी। जो जवान रिटायर होंगे, वो खुद को मिली 12 लाख की रकम से कोई भी कामकाज शुरू कर सकते हैं। हाईस्कूल करके शामिल होने वाले जवानों को सेना ही 12वीं कराएगी। इसके अलावा 12वीं पास को IGNOU से डिग्री भी दिलाई जाएगी।

अब रिटायरमेंट पर होने वाले एक और फायदे की बात कर लेते हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर एलान किया है कि अग्निवीर योजना से रिटायर होने वाले जवानों को केंद्रीय अर्धसैनिक बलों और असम रायफल्स में लेने पर प्राथमिकता मिलेगी। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी ट्वीट कर कहा है कि यूपी सरकार की नौकरियों और पुलिस की भर्ती में अग्निवीर जवानों को प्राथमिकता के आधार पर भर्ती किया जाएगा। यानी कुल मिलाकर अभी युवाओं के लिए इस योजना के तहत काफी लाभ हासिल करने का मौका दिख रहा है। अब बात योजना का विरोध करने वालों की भी कर लेते हैं। योजना का विरोध आखिर कौन लोग कर रहे हैं? इस सवाल का सीधा जवाब है कि योजना का विरोध वे ही कर रहे हैं, जो पहले मोदी सरकार को सेना के भारतीयकरण, चीन के खिलाफ उसकी तैयारी, सीडीएस बनाने और यहां तक कि शहीद जवानों का नया स्मारक तक बनाने के मसले में घेरते रहे हैं। जबकि, ये सबकुछ देशहित में किया जा रहा है। खुद सोचने वाली बात है कि अगर अग्निवीर योजना से सेना के तीनों अंगों को नुकसान हो रहा होता और देश को खतरा बढ़ता, तो क्या सेना के तीनों अंगों के प्रमुख इस योजना के लिए अपनी हामी भरते! और अगर कोई सोचता है कि सेना प्रमुखों ने सरकार के दबाव में योजना को हरी झंडी दिखा दी होगी, तो ऐसी सोच रखने वाले सेना का अपमान ही कर रहे हैं।

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