नई दिल्ली। शराब घोटाला के मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल फंसे हुए हैं। उन्होंने अपनी गिरफ्तारी और रिमांड अवैध बताते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी दी। जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद अरविंद केजरीवाल ने यही अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की। जिसे जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुना। शराब घोटाला में अपनी गिरफ्तारी और ईडी रिमांड को चुनौती देते हुए अरविंद केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कई दलीलें सुप्रीम कोर्ट में दी थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल से ये पूछा कि आपने जमानत अर्जी क्यों नहीं दी। वहीं, केजरीवाल के वकील ने कोर्ट में कहा कि जिस बयान के आधार पर गिरफ्तारी हुई, वो डेढ़ साल पहले लिया गया। कोई सबूत नहीं हैं और चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद गिरफ्तारी कर प्रचार से रोकने की कोशिश की गई। केजरीवाल के वकील ने ये भी कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी पीएमएलए एक्ट की धारा 19 का उल्लंघन है। अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि क्या ईडी ने दोषी सीएम को घूमने के लिए छोड़ रखा था। उन्होंने ये दलील भी दी कि शराब घोटाला मामले में कोई एफआईआर, चार्जशीट, सप्लीमेंट्री चार्जशीट या अभियोजन शिकायत अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नहीं है।
अपनी गिरफ्तारी और ईडी रिमांड को चुनौती देते हुए अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में ये भी कहा कि ईडी की ईसीआईआर में उनका नाम नहीं है। केजरीवाल की तरफ से कहा गया कि अपने 9 बयान में राघव मगुंटा, शरद रेड्डी और बुची बाबू ने उनका नाम नहीं लिया। 10वें बयान में नाम लेने पर गिरफ्तारी हुई। अरविंद केजरीवाल ने कोर्ट में ये भी कहा कि रेड्डी ने बीजेपी के लिए इलेक्टोरल बॉण्ड भी खरीदे थे। उन्होंने ये दलील भी दी कि जो शराब घोटाला में हिरासत में था, उसे वादा माफ गवाह बना दिया गया। अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में ये दलील भी दी कि गिरफ्तारी का मतलब ये नहीं कि गिरफ्तार किया ही जाए। सीबीआई ने जब पूछताछ के लिए बुलाया, तो उनके मुवक्किल गए थे। उन्होंने ईडी के नोटिस पर पेश न होने के बारे में कहा कि नोटिस का जवाब दिया गया। बता दें कि ईडी ने केजरीवाल को गिरफ्तार करने से पहले 9 बार समन भेजा था। एक बार भी जांच एजेंसी के सामने दिल्ली के सीएम पेश नहीं हुए थे।