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President Election: राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू के उम्मीदवार बनने से ममता को लगा जोरदार झटका, फटने लगा विपक्षी एकता का ढोल

mamata in anxious mood over president election

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस TMC की सुप्रीमो ममता बनर्जी की विपक्ष में एकता के कदम को राष्ट्रपति चुनाव में जोरदार झटका लग सकता है। वजह ये है कि विपक्षी एकता की राह से एक पार्टी अलग चलने का फैसला कर सकती है। ऐसे में ममता और विपक्ष की तरफ से साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को वोटों की और कमी होने की आशंका अभी से दिख रही है। जो पार्टी ममता की विपक्षी एकता की राह से अलग चलने की तैयारी में दिख रही है, उसका नाम है झारखंड मुक्ति मोर्चा JMM। जेएमएम के तमाम विधायक अब ये आवाज उठा रहे हैं कि एनडीए की राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को ही समर्थन देना चाहिए। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने भी अब तक विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के पक्ष में कोई बयान नहीं दिया है।

जेएमएम सरकार में मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने मीडिया से कहा कि पार्टी की बैठक होने वाली है। इसमें राष्ट्रपति पद के लिए समर्थन देने पर चर्चा होगी। वहीं, गिरिडीह से जेएमएम के विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने एक अखबार से कहा कि उनकी निजी राय है कि आदिवासी महिला को पहली बार राष्ट्रपति बनाने का मौका है, तो ये मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहिए। सोनू ने कहा कि झारखंड की सरकार को द्रौपदी मुर्मू का साथ देना चाहिए। जेएमएम के एक और विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने मीडिया से कहा कि पहली बार एक आदिवासी महिला राष्ट्रपति के चुनाव के लिए मैदान में है और उनका राष्ट्रपति बनना तय है। फिर भी पार्टी बैठक में जो भी फैसला करे, वो उनको मंजूर होगा। जेएमएम के विधायकों के ऐसे बयानों के कारण पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन पर द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का काफी दबाव है।

बता दें कि राष्ट्रपति पद के चुनाव में नियमों के तहत कोई भी पार्टी व्हिप जारी नहीं कर सकती। यानी सांसद और विधायक जिसे चाहें, उसे वोट दे सकते हैं। ऐसे में झारखंड मुक्ति मोर्चा अगर ये तय कर भी ले कि यशवंत सिन्हा को वोट देना है, तो उसके विधायक और सांसद इस राय से अलग चल सकते हैं और उनपर ऐसे में कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई भी संभव नहीं है।

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