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Video: ‘कश्मीरी नेताओं के आतंकी रिश्तों पर चुप रहे थे मनमोहन सिंह और शिवराज पाटिल’, गुलाम नबी का सनसनीखेज खुलासा

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी (DAP) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने एक सनसनीखेज खुलासा किया है। जिसको लेकर कांग्रेस पार्टी अब विवादों में घिर सकती है। दरअसल गुलाम नबी आजाद ने एक अंग्रेजी चैनल को दिए इंटरव्यू में तत्कालीन मनमोहन सरकार पर गंभीर आरोप लगाए है। आजाद ने न्यूज चैनल से खास बातचीत में बताया कि, कश्मीरी नेताओं के आतंकी रिश्तों की जानकारी दी थी लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार चुप रही थी। गुलाब नबी आजाद ने कहा, जब मैं जम्मू और कश्मीर का मुख्यमंत्री था मैंने कश्मीरी नेताओं के आतंकी रिश्तों को लेकर तत्कालीन पीएम डॉ. मनमोहन सिंह और तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज पाटिल को एक लेटर लिखकर जानकारी थी, कि किन-किन के कश्मीरी नेताओं के साथ लिंक थे। मगर उस वक्त की तत्कालीन यूपीए सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है।

बता दें कि साल 2005 से  2008 तक गुलाम नबी आजाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे थे। उसी दरमियान गुलाम नबी आजाद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की घाटी में नेताओं के आतंकियों के साथ संबंध बारे में अवगत कराया था। लेकिन उनकी इस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

यहां देखिए वीडियो-

उधर, इस पूरे मसले को लेकर फिल्म मेकर अशोक पंडित ने कहा कि,’इस प्रकरण से साफ जाहिर होता है कि जम्मू-कश्मीर के आतंकियों से संबंध रहे हैं। अब ऐसे में सवाल उठता है कि इस पूरे मसले को लेकर तत्कालीन सरकार आखिर क्यों खामोश थी? आखिर क्यों इस मसले को संसद में नहीं उठाया गया ? उन दिनों भी संसद में कई सत्र हुआ करते थे, लेकिन इसके बावजूद भी इस मसले को क्यों नहीं उठाया गया। यह देश की आतंरिक सुरक्षा का मसला है, तो ऐसे में तत्कालीन सरकार इस गंभीर मसले को लेकर आखिर चुप रही। ऐसे में, मैं वर्तमान सरकार से मेरी गुजारिश रहेगी कि इस मसले को उठाया जाए। इसकी जांच की जाए। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

गौरतलब है कि गुलाम नबी आजाद ने इसी साल 26 अगस्त 2022 को कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह दिया था। वो कांग्रेस पार्टी से कई सालों से जुड़े हुए थे। उन्होंने पांच पन्नों के इस्तीफे में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को निशाने पर लिया था। उनके इस्तीफे बाद से जम्मू-कश्मीर में कई कांग्रेसी नेताओं के पार्टी का दामन छोड़ दिया था। इसके बाद गुलाम नबी आजाद ने अपनी डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी बनाई।

 

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