नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में होने वाले राज्यसभा चुनाव को लेकर सियासी ड्रामा जारी है। बहुजन समाज पार्टी के 7 विधायकों ने बागी तेवर अपनाते हुए समाजवादी पार्टी के खेमें चले गए। इसको देखते हुए मायावती ने सख्त अंदाज अपनाते हुए इन सातों विधायकों निलंबित कर दिया है। मायावती के तेवर अब सपा प्रमुख अखिलेश यादव को लेकर भी सख्त हुए हैं। उन्होंने गुरुवार को साफ संकेत दिए कि अगर सपा को हराने के लिए भाजपा प्रत्याशी को मदद करना पड़े तो भी वो पीछे नहीं हटेंगी और सपा को हराएंगी। आपको बता दें कि बसपा के विधायकों की इस बगावत से बौखलाई मायावती ने कहा है कि एमएलसी चुनाव में सपा को हराने के लिए बसपा बीजेपी उम्मीदवार को समर्थन देगी। गुरुवार को मायावती ने कहा कि, “इस बार लोकसभा चुनाव में NDA को सत्ता में आने से रोकने के लिए हमारी पार्टी ने सपा सरकार में मेरी हत्या करने के षड्यंत्र की घटना को भूलाते हुए देश में संकीर्ण ताकतों को कमजोर करने के लिए सपा के साथ गठबंधन करके लोकसभा चुनाव लड़ा था।”
उन्होंने आगे कहा कि, हमारी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के दौरान सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने के लिए सपा से हाथ मिलाया था। लेकिन उनके परिवारिक अंतरकलह के कारण बसपा के साथ गठबंधन कर भी वो ज्यादा लाभ नहीं उठा पाए। राज्यसभा चुनावों में हम सपा प्रत्याशियों को बुरी तरह हराएंगे। इसके लिए हम अपनी पूरी ताकत झोंक देंगे। इसके लिए अगर हमें भाजपा या किसी अन्य पार्टी के प्रत्याशी को अपना वोट देना पड़े तो हम वो भी करेंगे।
समाजवादी पार्टी के साथ लोकसभा चुनाव 2019 में गठबंधन बसपा की बड़ी भूल: मायावती
| @samajwadiparty @Mayawati | pic.twitter.com/viAPkTNoy8— Newsroom Post (@NewsroomPostCom) October 29, 2020
मायावती ने जिन विधायकों को निलंबित किया है उनमें असलम राइनी ( भिनगा-श्रावस्ती) असलम अली (ढोलाना-हापुड़) मुजतबा सिद्दीकी (प्रतापपुर-इलाहाबाद) हाकिम लाल बिंद (हांडिया- प्रयागराज) हरगोविंद भार्गव (सिधौली-सीतापुर) सुषमा पटेल ( मुंगरा बादशाहपुर) वंदना सिंह -( सगड़ी-आजमगढ़) शामिल हैं।