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संघ का मानना है कि यह देश हिंदुओं का है : मोहन भागवत

इजराइल का उदाहरण देते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि, वहां के लोगों को स्वतंत्रता से पहले यह प्रस्ताव मिला था कि रेगिस्तान पर फिर से अपना देश बसाने पर उन्हें क्या मिलेगा, लड़ना भी बहुत पड़ेगा।

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर कहा है कि, संघ का मानना है कि यह देश हिंदुओं का है। उन्होंने कहा कि यहां जितने लोग हैं, उन सबके पूर्वज हिंदू थे। यह सत्य है, बाहर से आया हुआ यहां कोई नहीं है।

संघ प्रमुख ने कहा कि, यहां रह रहे लोगों के पूर्वज हिंदू थे। उनकी मातृभूमि भारत है, दूसरी नहीं। संघ प्रमुख ने कहा कि उन सबको विरासत में यही धर्म और संस्कृति मिली है, तभी लोग आपस में मिलकर रहते हैं। उन्होंने कहा कि अगर समाज का हर तबका काम नहीं करता है तो कार्य का बंटवारा होगा। अगर सभी लोग सोते रहे तो भी काम नहीं चलने वाला। सबको करने की आदत लगनी चाहिए। संघ प्रमुख ने कहा कि देश का सबसे निकृष्ट व्यक्ति जितना अच्छा है, वैसा ही हमारे देश का वैभव है।

उन्होंने कहा कि इसके लिए आदत लगानी पड़ेगी। इसका स्थान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा है। उन्होंने कहा कि जब संघ हिंदू समाज कहता है तब वह किसी पंथ को, भाषा को, प्रांत को, जाति को अलग नहीं मानता।

इजराइल का उदाहरण देते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि, वहां के लोगों को स्वतंत्रता से पहले यह प्रस्ताव मिला था कि रेगिस्तान पर फिर से अपना देश बसाने पर उन्हें क्या मिलेगा, लड़ना भी बहुत पड़ेगा। अफ्रीका में 400 गुना अधिक जमीन देने का प्रस्ताव दिया गया था लेकिन लोगों ने मातृभूमि के लिए यह प्रस्ताव खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा कि ये भारत की मिट्टी से ही निकले हैं।

चार दिवसीय प्रवास पर बुधवार रात से मुरादाबाद में ठहरे सरसंघचालक मोहन भागवत ने गुरुवार को देश में दो बच्चों के कानून का समर्थन किया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस पर फैसला सरकार को लेना है। संघप्रमुख ने कश्मीर में धारा 370 और CAA का भी समर्थन किया।

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