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Gyanvapi Masjid: ज्ञानवापी में मूर्तियां मिलने पर मुस्लिम पक्ष ने किया है ये दावा, लेकिन कोर्ट में इसका टिक पाना बड़ी मुश्किल

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वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद पर एएसआई सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक हो चुकी है। एएसआई की रिपोर्ट के आधार पर हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि ज्ञानवापी मस्जिद से पहले वहां एक विशाल मंदिर होने के सबूत मिले हैं। हिंदू पक्ष ने कहा है कि एएसआई की रिपोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद में तमाम मूर्तियां और पुराने मंदिर के खंबे होने की बात भी कही गई है। हिंदू पक्ष के इस दावे पर ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद के वकील अखलाक अहमद ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से अखलाक अहमद ने कहा कि मसाजिद कमेटी ने ज्ञानवापी के पास ही छत्ताद्वार में 5-6 मूर्तिकारों को किराए पर दुकान दी थी। मुस्लिम पक्ष के वकील का दावा है कि ज्ञानवापी में जो मूर्तियां मिलने की बात कही जा रही है, शायद उनको इन मूर्तिकारों ने ही 1993 से पहले मस्जिद परिसर में फेंका होगा। देखिए, एएसआई सर्वे में ज्ञानवापी के भीतर कैसी मूर्तियां मिलने की जानकारी आई है।

हालांकि, मुस्लिम पक्ष के वकील का ज्ञानवापी में पुरानी मूर्तियां फेंके जाने पर ये दावा है, लेकिन इस दावे में दम नहीं नजर आ रहा है। वजह ये है कि एएसआई ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में ज्ञानवापी को लेकर तमाम बातें कही हैं। एएसआई ने जिन मूर्तियों के ज्ञानवापी में होने की बात कही, उनमें से ज्यादातर मध्यकाल की हैं। यानी 1993 से पहले की हैं। इसके अलावा मस्जिद में हिंदू मंदिर के खंबे इस्तेमाल किए जाने की बात भी एएसआई ने कही है। साथ ही ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार के भी प्राचीन मंदिर का हिस्सा होने की बात एएसआई ने कही है। ऐसे में कोर्ट में मुस्लिम पक्ष के मुकाबले फिलहाल हिंदू पक्ष का दावा ज्यादा दमदार लग रहा है।

एएसआई ने कहा है कि ज्ञानवापी की ये पश्चिमी दीवार पुराने हिंदू मंदिर का हिस्सा है।

ज्ञानवापी मस्जिद मामले की सुनवाई वाराणसी के जिला जज के कोर्ट में हो रही है। अगली सुनवाई की तारीख 6 फरवरी है। हिंदू पक्ष ने एएसआई रिपोर्ट मिलने के बाद अब सील वजूखाने के एएसआई सर्वे की अपील सुप्रीम कोर्ट में करने का फैसला किया है। एएसआई की रिपोर्ट को आधार बनाकर ही हिंदू पक्ष अब सुप्रीम कोर्ट जाने वाला है। वहीं, मुस्लिम पक्ष की तरफ से एएसआई रिपोर्ट के खिलाफ कोर्ट में दलील दी जानी है। ऐसे में फिलहाल ये मुकदमा लंबे समय तक चलने के आसार दिख रहे हैं।

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