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India-China Tension: एलएसी मसले पर भारत अपने रुख पर कायम, जी-20 के दौरान दोनों देशों में नहीं होगी अलग से बैठक

पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने चीन के साथ सैन्य और कूटनीतिक मंचों पर कई दौर की बातचीत की है। इन बातचीत में मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि भारत और चीन के रिश्ते तभी सुधर सकते हैं, जब चीन 2020 से पहले की स्थिति पर अपनी सेना को ले जाए।

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नई दिल्ली। ऐन वक्त पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जी-20 शिखर सम्मेलन से कन्नी काट ली। उन्होंने अपनी जगह चीन के पीएम ली कियांग को दिल्ली भेज दिया। अब खबर ये है कि चीन के पीएम ली कियांग से पूर्वी लद्दाख समेत एलएसी पर जारी तनाव के मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं करने वाले हैं। एलएसी पर साल 2020 से ही तनाव है। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में उस साल मई में भारत और चीन के सैनिकों के बीच संघर्ष भी हुआ था। जिसमें भारत के कर्नल बी. संतोष बाबू और 19 जवान शहीद हुए थे। चीन के भी तमाम सैनिक इस संघर्ष में मारे गए थे।

पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने चीन के साथ सैन्य और कूटनीतिक मंचों पर कई दौर की बातचीत की है। इन बातचीत में मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि भारत और चीन के रिश्ते तभी सुधर सकते हैं, जब चीन 2020 से पहले की स्थिति पर अपनी सेना को ले जाए। चीन ने साल 2013 में पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और देपसांग पर भी अवैध कब्जा जमा रखा है। भारत ने 19वीं दौर की सैन्य कमांडर बातचीत में चीन को दोनों इलाके खाली करने को कहा है।

वैसे भी चीन के पीएम ली कियांग से पीएम मोदी की द्विपक्षीय बातचीत संभव नहीं है। इसकी वजह ये है कि चीन में शासनाध्यक्ष राष्ट्रपति शी जिनपिंग हैं और भारत के शासनाध्यक्ष पीएम मोदी हैं। बातचीत तो बराबर के स्तर वाले नेताओं के बीच ही हो सकती है। जबकि, चीन में पीएम का पद सिर्फ दिखाने भर का होता है। असली फैसले वहां के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ही लेते हैं। इससे पहले मोदी और जिनपिंग के बीच जोहानेसबर्ग में थोड़ी बातचीत हुई थी, लेकिन इसमें एलएसी के मुद्दे पर गहन चर्चा दोनों नेताओं ने ही नहीं की थी।

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