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India-China Border Dispute: चीन के दौरे पर जा रहे भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, जानिए आखिर ये दौरा क्यों है अहम

नई दिल्ली। लद्दाख में एलएसी पर तनाव खत्म करने के बाद भारत और चीन अब सीमा विवाद सुलझाने की दिशा में एक बार फिर आगे बढ़ रहे हैं। इसी कड़ी में 17 और 18 दिसंबर को बीजिंग में भारत और चीन के सीमा विवाद सुलझाने संबंधी विशेष प्रतिनिधियों के बीच बैठक होनी है। इस बैठक में भारत की तरफ से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी एनएसए अजित डोभाल हिस्सा लेंगे। चीन की तरफ से बैठक में विदेश मंत्री वांग यी मुख्य वार्ताकार होंगे। भारत और चीन के बीच सीमा विवाद सुलझाने के लिए विशेष प्रतिनिधि स्तर की बैठक आखिरी बार दिसंबर 2019 में हुई थी।

चीन के विदेश मंत्री वांग यी से पहले भी अजित डोभाल कई बार बातचीत कर चुके हैं।

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद अंग्रेजों के जमाने का है। अंग्रेजों ने भारत और चीन के बीच सीमा को मैकमोहन लाइन के जरिए बांटा। चीन इसे मानने से इनकार करता है। चीन पूर्वी लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताता है। वहीं, भारत का कहना है कि मैकमोहन लाइन ही भारत और चीन के बीच सीमा है। 1962 की जंग के दौरान चीन ने पूर्वी लद्दाख का बड़ा हिस्सा कब्जे में कर लिया। भारत और चीन के बीच सिर्फ सिक्किम को छोड़कर पूरे एलएसी पर विवाद है। भारत ने सभी इलाकों से जुड़े नक्शे चीन को दिए हैं, लेकिन चीन नक्शा देने में आनाकानी करता है।

एलएसी पर तनाव खत्म होने के बाद भारतीय सेना ने दिवाली पर चीन की सेना को मिठाई खिलाई थी।

साल 2020 में पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में चीन ने एलएसी का अतिक्रमण किया था। इस पर भारतीय सेना से चीन के सैनिकों का संघर्ष हुआ। इसमें चीन के 40 से ज्यादा जवान मारे गए। वहीं, भारतीय सेना के कर्नल बी. संतोष बाबू समेत 20 जवान शहीद हुए थे। इसके बाद भारत ने लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर बड़े पैमाने पर सेना और हथियार तैनात किए थे। चीन ने भी सभी जगह अपनी सेना की तैनाती की थी। चीन से कूटनीतिक और सैन्य स्तर की कई बार बातचीत के बाद अक्टूबर 2024 में दोनों देशों में एलएसी पर पुरानी स्थिति बहाल करने का समझौता हुआ। इसके बाद भारत और चीन की सेना एलएसी पर पीछे हटीं।

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