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Opposition Against One Nation One Election Bill: वन नेशन वन इलेक्शन बिल के खिलाफ विपक्ष, मोदी सरकार ने किया पलटवार

नई दिल्ली। विपक्ष ने एक सुर से वन नेशन वन इलेक्शन बिल लाने का विरोध किया है। विपक्ष के तमाम सांसदों ने वन नेशन वन इलेक्शन बिल को संसद की जेपीसी के पास चर्चा के लिए भेजने की मांग की है। कांग्रेस ने साफ कह ही दिया है कि वन नेशन वन इलेक्शन का कानून बनाने के वो खिलाफ है। समाजवादी पार्टी ने भी इसका विरोध किया है। वहीं, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा है कि वन नेशन वन इलेक्शन किसी पार्टी का नहीं, देश का मसला है। किरेन रिजिजू ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि देश में पहले एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव होते थे, लेकिन कांग्रेस के कारण अब हर साल बार-बार चुनाव होते हैं।

वन नेशन वन इलेक्शन के बिल को विपक्ष असंवैधानिक और लोकतंत्र विरोधी बता रहा है। विपक्ष ये सवाल भी पूछ रहा है कि अगर किसी राज्य में बीच कार्यकाल सरकार गिर गई, तो वहां के लिए क्या व्यवस्था होगी? हालांकि, इस बारे में बिल में प्रावधान किया गया है। जानकारी के मुताबिक वन नेशन वन इलेक्शन के बिल के खंड दो के उपखंड 5 में कहा गया है कि अगर किसी राज्य में अलग से चुनाव कराना हो, तो चुनाव आयोग इसके लिए राष्ट्रपति से मंजूरी लेगा। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद उस राज्य में बीच में भी चुनाव कराया जा सकता है। अब विपक्ष इस प्रावधान पर राजी होता है या नहीं, ये देखना बाकी है।

वन नेशन वन इलेक्शन का प्रस्ताव पीएम नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले साल 2019 के स्वतंत्रता दिवस के भाषण में दिया था। फिर उनकी सरकार ने वन नेशन वन इलेक्शन पर सुझाव देने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी। रामनाथ कोविंद कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मार्च 2024 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को सौंपी थी। इस रिपोर्ट को मोदी कैबिनेट ने मंजूर किया था। 12 दिसंबर 2024 को मोदी कैबिनेट ने वन नेशन वन इलेक्शन बिल को भी मंजूरी दी थी। मोदी सरकार इस मामले में विपक्ष के साथ आमराय बनाना चाहती है। वहीं, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी का कहना है कि वन नेशन वन इलेक्शन बिल लाने से पहले सरकार को सर्वदलीय बैठक करनी चाहिए थी।

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