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Petition Agains QR Code In Kanwar Yatra Route: कांवड़ यात्रा मार्ग पर ढाबों के मालिकों का क्यूआर कोड प्रदर्शित करने के निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका, जानिए क्या दिया तर्क?

Petition Agains QR Code In Kanwar Yatra Route: सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि इस निर्देश का उद्देश्य कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजन बेचने वालों की पहचान उजागर करना है। इस निर्देश का कोई कानूनी आधार न होने की बात भी याचिका में कही गई है। याचिका करने वाले प्रोफेसर अपूर्वानंद का कहना है कि क्यूआर कोड प्रदर्शित करने का निर्देश धार्मिक ध्रुवीकरण और भेदभाव पैदा करने वाला है। याचिका में कहा गया है कि ये सरकारी आदेश एक अतिक्रमण है।

नई दिल्ली। यूपी और उत्तराखंड के कांवड़ यात्रा मार्गों पर ढाबा चलाने वालों को क्यूआर कोड स्टिकर प्रदर्शित करने के निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। दोनों राज्यों ने क्यूआर कोड स्टिकर लगाने का निर्देश इसलिए दिया है, ताकि कांवड़ यात्रा निकालने वालों को ढाबों और होटलों के मालिकों के बारे में जानकारी मिल सके। ये याचिका प्रोफेसर अपूर्वानंद ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि कांवड़ यात्रा मार्गों पर भोजन बेचने वालों और कर्मचारियों की पहचान सार्वजनिक करने के सभी निर्देशों पर रोक लगाई जाए। याचिका में तर्क दिया गया है कि क्यूआर कोड सार्वजनिक तौर पर लगाने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल दिए गए अंतरिम आदेश के खिलाफ है। याचिका में कहा गया है कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि विक्रेताओं को पहचान उजागर करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट का पिछले साल दिया आदेश न मानते हुए इस साल अफसरों ने कांवड़ यात्रा मार्गों पर दुकानदारों के पहचान के लिए नए निर्देश दिए हैं। जिसमें मालिकों की पहचान के लिए सभी भोजनालयों के मालिकों को क्यूआर कोड प्रदर्शित करने के लिए कहा गया है।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि इस निर्देश का उद्देश्य कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजन बेचने वालों की पहचान उजागर करना है। इस निर्देश का कोई कानूनी आधार न होने की बात भी याचिका में कही गई है। याचिका करने वाले प्रोफेसर अपूर्वानंद का कहना है कि क्यूआर कोड प्रदर्शित करने का निर्देश धार्मिक ध्रुवीकरण और भेदभाव पैदा करने वाला है। याचिका में कहा गया है कि ये सरकारी आदेश एक अतिक्रमण है। याचिका करने वाले ने सुप्रीम कोर्ट में आशंका जताई है कि ऐसे निर्देश से अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा हो सकती है। क्यूआर कोड प्रदर्शित करने के निर्देश को निजता का उल्लंघन भी बताया गया है। इसके अलावा इसे भोजनालय चलाने के लाइसेंस की जरूरत का उल्लंघन भी बताया गया है।

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