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PM मोदी की सफलताओं पर लिखी ‘पुस्तक’ का जिक्र कर राणा अयूब ने निकाली भड़ास, तो लेखक ने दिया करारा जवाब

RANA AYUB

नई दिल्ली। अगर आप समसामियक मसलों के बारे में जानने के लिए आतुर रहते हैं, तब तो फिर ऐसा हो ही नहीं सकता है कि आपको राणा अयूब के बारे में न पता हो। पेशे से पत्रकार राणा अयूब किसी न किसी मसले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर ही रहती हैं। शायद ही ऐसा कोई मसला होगा जिसे वे अपने हाथ से जाने देती हों। वो हर मसले को मोदी विरोधी लबादे में लपेटकर उसे केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोलने में इस्तेमाल करतीं हैं। अब इतना सब कुछ पढ़ने के बाद आप मन ही मन सोच रहे होंगे कि आखिर वो सब तो ठीक है, लेकिन अब क्या हो गया ऐसा कि आप पत्रकार राणा अयूब के बारे में ऐसी भूमिका रचाने में मशगूल हो गए। आखिर माजरा क्या है। जरा कुछ खुलकर बताएंगे। तो चलिए अब हम आपको सबकुछ पूरे तफसील से बताते हैं।

तो आपको तो पता ही होगा कि वर्तमान में राणा अयूब धनशोधन मामले में ईडी की जांच का सामना कर रही है। उन पर आरोप है कि उन्होंने मुफलिसों की मदद के नाम पर विलायत से प्राप्त किए गए वित्त का उपयोग जररूतमंदों को न करते हुए अपने निजी हित के लिए किया था। जिसे लेकर अब पत्रकार के खिलाफ जांच चल रही है। इसी जांच को ध्यान में रखते हुए विगत दिनों जब पत्रकार ने एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने हेतु विदेश जाने की इच्छा प्रकट की, तो ईडी ने कोर्ट में एतराज जताया है, लेकिन विगत दिनों दिल्ली हाईकोर्ट ने राणा को कार्यक्रम में हिस्सा लेने हेतु विदेश जाने की अनुमति दे दी है। लिहाजा मौजूदा वक्त में पत्रकार विदेश में हैं। जहां वे मीडिया समेत लोकतंत्र के मसलों पर अपनी तकरीरें पेश कर रहीं हैं। उनकी तकरीरों के कुछ अंश वीडियो में कैद होकर अभी सोशल मीडिया की दुनिया में तैर रहे हैं। जिस पर लोग अलग-अलग तरह से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नजर आ रहे हैं। वहीं, सोशल मीडिया पर जहां उनकी इन तकरीरों को लेकर विरोध किया जा रहा है तो वहीं कुछ  लोग उनका समर्थन भी कर रहे हैं।

इसी क्रम में लेखक प्रियम गांधी ने राणा अयूब की तकरीरों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसमें उन्होंने कहा कि, ‘राणा अय्यूब, जो हर दूसरे वाक्य में खुद को शिकार बताती है। बस इस एक भाषण में, उन्होंने एक शारीरिक विकलांगता, एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या, लगभग एक बलात्कार पीड़िता, दंगों की शिकार, ऑनलाइन नफरत, सामाजिक अलगाव और एक सरकारी लक्ष्य का उल्लेख किया’!

इसके साथ ही लेखक प्रियम ने राणा अयूब की तकरीरों का वीडियो भी सोशल मीडिया पर साझा किया है, जिसमें राणा यह कहती हुईं नजर आ रही है कि जब एक पत्रकार ने कोरोना की तीसरी लहर के दौरान मोदी सरकार की विफलताओं के संदर्भ में पुस्तक लिखी, तो उस पुस्तक का सेंसरशीप किया गया है, और उस पुस्तक को लिखने वाले पत्रकार को सलाखों के पीछे भेज दिया गया। लेकिन इसके अलावा जब किसी पत्रकार ने कोरोना की तीसरी लहर के दौरान कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नायक रहे हैं, तो उस पुस्तक को प्रमोट किया गया है। आलाधिकारियों से लेकर  सरकारी नुमाइंदों तक ने इस पुस्तक का समर्थन किया। लेकिन हमारी पुस्तक का विरोध किया है। अब आपको बता दें कि कोरोना काल में पीएम मोदी की तारीफ को संग्रहित करते हुए लेखक प्रियम ने लिखा था, जिसे राणा अयूब ने शेडो पुस्तक करार दिया है, जिस पर खुद लेखक प्रियम ने कड़ा जवाब दिया है।


उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि ‘मैं सिर्फ एक ‘छाया’ नहीं हूं जैसा कि अय्यूब ने कहा है। मैं प्रतिष्ठित वैश्विक विश्वविद्यालयों में नीति अध्ययन में उच्च शिक्षित तीसरी बार योग्य लेखक हूं।’ बहरहाल, बतौर पाठक इस पूरे मसले पर आपका क्या कुछ कहना है। आप हमें कमेंट कर बताना बिल्कुल भी मत भूलिएगा।

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