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Roshni Land Scam: फारूक अब्दुल्ला के बाद महबूबा मुफ्ती का नाम आया सामने, बढ़ी मुश्किलें

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के रोशनी जमीन घोटाले (Roshni Land Scam) में हर रोज एक के बाद एक बड़े खुलासे हो रहे है। 25 हजार करोड़ के इस जमीन घोटाले में कई पार्टी के बड़े राजनेताओं और नौकरशाहों के शामिल होने की जानकारी सामने आई है। इस घोटाले में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) के बाद अब पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) प्रमुख महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) का नाम सामने आया है। जिसके बाद अब महबूबा मुफ्ती की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी ने जम्मू के संजवान इलाके में अवैध ढंग से तीन कनाल सरकारी जमीन पर कब्जा कर पार्टी ऑफिस का निर्माण कराया। इसी ऑफिस के पहले फ्लोर पर विवादास्पद नेता राशिद खान ने अपना बसेरा बनाया है। जिस समय जमीन पर कब्जा किया गया, उस वक्त मुफ्ती मोहम्मद सईद की अगुआई वाली पीडीपी की सरकार थी।

रोशनी जमीन घोटाले में बड़ा खुलासा, पूर्व CM फारूक अब्दुल्ला का सामने आया नाम

इससे पहले 25 हज़ार करोड़ के रोशनी जमीन घोटाले में पूर्व सीएम अब्दुल्ला पर 10 करोड़ की सरकारी जमीन हड़पने का आरोप लगा है। यह मामला जम्मू के सुजवां में जंगल की जमीन पर कब्जे का है। आरोपों के मुताबिक फारुक अब्दुल्ला ने सुजवां में 3 कनाल जमीन खरीदी 3 कनाल का पजेशन लेने के बजाय 7 कनाल की जमीन पर कब्जा कर लिया।

जानिए क्या है रोशनी घोटाला

बता दें कि जम्मू-कश्मीर सरकार के ‘रोशनी एक्ट’ के तहत सरकारी जमीनों की खूब बंदरबांट हुई। जम्मू-कश्मीर में साल 2001 में नेशनल कांफ्रेंस सरकार ने रोशनी एक्ट बनाया। इस एक्ट के तहत, राज्य सरकार ने बेहद मामूली कीमत पर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वाले लोगों को उसी जमीन पर स्थायी कब्जा देने की बात कही।

एक्ट का प्रावधान था कि उन्हीं लोगों को जमीन का मालिकाना हक मिलेगा, जिनके पास 1999 से पहले से सरकारी जमीनों पर कब्जा है। वर्ष 2004 में इस एक्ट में बदलाव कर वर्ष 1999 से पहले कब्जे की शर्त हटा दी गई।

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