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ISRO’s GSLV-F12 mission: नेक्स्ट जेनरेशन नेविगेशन सैटेलाइट की सफल लॉन्चिंग, जानिए क्या है खासियत

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष की दुनिया में एक और उपलब्धि हासिल करते हुए 29 मई यानि की आज अपने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC-SHAR) से नए ज़माने के आधुनिक नेविगेशन सैटेलाइट को लॉन्च किया। इस सैटेलाइट का नाम NVS-01 है और इसे SLV-F12 रॉकेट के जरिए लॉन्च पैड-2 से छोड़ा गया। इस सैटेलाइट में कई खासियत हैं तो चलिए जानते है इसरो के इस नए सैटेलाइट के बारे में और भी विस्तार से।

इसरो का जीएसएलवी-एफ12 रॉकेट 51.7 मीटर ऊंचा रॉकेट है। इस रॉकेट का वजन करीब 420 टन है। जीएसएलवी-एफ12 में तीन स्टेज हैं। वहीं इसरो के द्वारा लॉन्च किये गए सैटेलाइट का वजन 2232 किलोग्राम है। ये सैटेलाइट भारत और भारतीय सीमाओं के चारो तरफ करीब 1500 किलोमीटर की रेंज तक नेविगेशन सर्विस उपलब्ध कराएगा। इसके साथ ही ये सैटेलाइट किसी भी जगह की एक्यूरेट रियल टाइम पोजीशनिंग बताएगा।

12 साल तक करेगा काम, ऐसे मिलेगी ऊर्जा

सैटेलाइट NVS-01 को दो सोलर पैनलों की मदद से ऊर्जा प्राप्त होगी। इन सोलर पैनलों की मदद से सैटेलाइट को 2.4 किलोवाट ऊर्जा मिलेगी। इसके साथ ही सैटेलाइट में लगाए गए लिथियम-आयन बैटरी की चार्जिंग भी इसी ऊर्जा के माध्यम से होगी। लॉन्च के बाद से अगले 12 सालों तक ये सैटेलाइट काम करेगी।

सटीक लोकेशन बताएगी सैटेलाइट में लगी परमाणु घड़ी

इस नेविगेशन सैटेलाइट में इसरो ने अपने ही देश में निर्माण किये गए रूबिडियम एटॉमिक क्लॉक का इस्तेमाल किया है। इस एटॉमिक क्लॉक को अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लीकेशन सेंटर ने बनाया गया है। ये परमाणु घड़ी बेहतरीन और सटीक लोकेशन, पोजिशन और टाइमिंग बताने में मदद करता है।

NVS-01 सैटेलाइट का मुख्य काम

– जमीनी, हवाई और समुद्री नेविगेशन
– कृषि संबंधी जानकारी
– जियोडेटिक सर्वे
– इमरजेंसी सर्विसेस
– फ्लीट मैनेजमेंट
– मोबाइल में लोकेशन बेस्ड सर्विसेस
– सैटेलाइट्स के लिए ऑर्बिट पता करना
– मरीन फिशरीज
– वाणिज्यिक संस्थानों, पावर ग्रिड्स और अन्य सरकारी एजेंसियों के लिए टाइमिंग सर्विस
– इंटरनेट ऑफ थिंग्स
– स्ट्रैटेजिक एप्लीकेशन

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