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Bihar: बिहार सरकार को ‘सुप्रीम’ झटका, कोर्ट ने जातीय जनगणना पर रोक को जारी रखा

नई दिल्ली। इन दिनों बिहार की राजनीति का पारा जातीय जनगणना को लेकर चरम पर पहुंच चुका है। कोई इसका विरोध कर रहा है, तो कोई समर्थन। लेकिन बिहार सरकार जातीय जनगणना के पक्ष में है, जिसके आलोक में जातीय जनगणना शुरू भी करवा दी गई थी, लेकिन इसके खिलाफ बीते दिनों पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसके बाद कोर्ट ने जातीय जनगणना पर रोक लगा दी। इसके बाद बिहार सरकार ने पटना हाईकोर्ट के उक्त फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया जहां आज सुनवाई हुई। आइए, आपको बताते हैं कि सुनवाई के दौरान क्या कुछ हुआ।

सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया। दरअसल, बीते दिनों पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के प्रदेश में जातीय जनगणना कराने के फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसके विरोध में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भी बिहार सरकार को तगड़ा झटका दे दिया गया है। अब ऐसे में यह देखना दिलचस्प रहेगा कि आगामी दिनों में पूरे मसले को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से क्या कुछ कदम उठाए जाते हैं।

बिहार सरकार की तरफ से अधिवक्ता मनीष सिंह ने जातीय जनगणना कराने के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, लेकिन आपको बता दें कि यह कोई पहली मर्तबा नहीं है कि जब जातीय जनगणना का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है, बल्कि  इससे पहले जातीय जनगणना का मामला इस वर्ष जनवरी माह में पहुंचा था, तब कोर्ट से इस पर रोक लगाने की मांग बिहार सरकार की ओर से की गई थी। जाति आधारित जनगणना पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने सुनवाई की थी, लेकिन तब SC ने सुनवाई करने से इनकार कर बिहार सरकार को हाई कोर्ट जाने का निर्देश दिया था। वहीं, बिहार सरकार ने हाई कोर्ट से मामले का जल्द से जल्द निपटारा करने का निर्देश दिया था, लेकिन कोर्ट ने बीते दिनों हुई सुनवाई के दौरान जातीय जनगणना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। जिसके बाद बिहार सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया, लेकिन वहां से भी सरकार के पक्ष में फैसला नहीं आया।

अब इस पूरी वस्तुस्थिति से अवगत होने के बाद आपके जेहन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर बिहार सरकार  क्यों प्रदेश में जातीय जनगणना कराना चाहती है। दरअसल, सरकार का दावा है कि जातीय जनगणना कराने से सभी लोगों की आर्थिक स्थिति का आकलन आसानी से किया जा सकेगा, ताकि लोगों के लिए जन-कल्याणकारी नीतियों के निर्माण में सहायता मिल सकें।

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