नई दिल्ली। कानपुर कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे एनकाउंटर केस पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सरकार की तरफ से एडवोकेट तुषार मेहता ने बताया कि मुठभेड़ सही थी। हालांकि, कोर्ट की तरफ से ये भी कहा गया कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था बनाने के लिए जिम्मेदार है और इसके लिए ट्रायल होना चाहिए था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को जांच समिति में शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश और एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी को जोड़ने पर विचार करने को कहा।
कोर्ट ने कहा कि हैदराबाद में मारे गए दुष्कर्म के आरोपी और यहां मारे गए अपराधियों में फर्क है। उनके पास हथियार नहीं थे। लेकिन आपके ऊपर (यूपी) राज्य सरकार के तौर पर कानून का शासन बनाए रखने की जिम्मेदारी है। इसके लिए गिरफ्तारी, ट्रायल और सजा सुनाई जानी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि यह केवल एक घटना नहीं है जो दांव पर है। जो दांव पर है वो पूरी व्यवस्था है।
#विकास_दुबे और उसके साथियों के एनकाउंटर पर अदालत निगरानी की जाँच की मांग करने वाली PIL: SC ने कहा, यहाँ मारे गए और हैदराबाद में जहाँ बलात्कारियों के पास कोई हथियार नहीं था दोनों मौतों में अंतर है। राज्य सरकार के रूप में आप (यूपी) शासन बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं। pic.twitter.com/3Hw4X2C8Gd
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 20, 2020
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर हैरानी भी जताई कि विकास दुबे पर इतने मुकदमे दर्ज होने के बाद भी उसे जमानत क्यों दी गई। कोर्ट ने यूपी सरकार से रिकॉर्ड तलब किया और कहा कि विकास दुबे पर गंभीर अपराध के अनेक मुकदमे दर्ज होने के बाद भी वह जेल से बाहर था। यह सिस्टम की विफलता है।
बता दें कि इससे पहले मामले पर कोर्ट में 17 जुलाई को सुनवाई की थी। सुनवाई के दौरान यूपी पुलिस ने विकास दुबे और उसके साथियों की मौत के मामले में न्यायालय के सामने अपना विस्तृत जवाब दाखिल किया था। जिसमें कहा गया था कि ये सभी एनकाउंटर (मुठभेड़) सही थे और इन्हें फर्जी करार नहीं दिया जा सकता है।