नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने असम में 2019 में एंटी-सीएए विरोध से संबंधित एक मामले में किसान अधिकार कार्यकर्ता अखिल गोगोई की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। गुरुवार को जस्टिस एन.वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह गोगोई को इस समय जमानत देने के लिए तैयार नहीं हैं। गोगोई दिसंबर 2019 से जेल में हैं। उन्हें असम में नागरिकता विरोधी (संशोधन) अधिनियम के विरोध में बड़े पैमाने पर हुए प्रदर्शन के दौरान गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। सुनवाई के दौरान गोगोई के वकील जयदीप गुप्ता ने कहा कि बड़े पैमाने पर हुए ये विरोध प्रदर्शन सीएए के खिलाफ हुए थे और इन्हें आतंकवाद से कतई नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कुछ जगहों पर हिंसा हुईं, लेकिन इस बात के कोई सबूत नहीं है कि उनके क्लाइंट इसके लिए जिम्मेदार हैं। पहली नजर में यह कहीं से भी आतंकवाद से नहीं जुड़ा है।
इस पर पीठ ने जवाब दिया कि वह अभी उन्हें जमानत नहीं दे सकती है। वह बाद में जमानत याचिका दायर कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा, “मुकदमे को आगे बढ़ने दें। अदालतों ने अब काम करना शुरू कर दिया है।” गोगोई ने सीएए के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों में कथित भूमिका संबंधी मामले में जमानत याचिका खारिज करने के गौवाहाटी उच्च न्यायालय के सात जनवरी के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।
वहीं इस याचिका पर न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यामूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने गोगोई की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा किहम इस चरण पर इस याचिका पर विचार नहीं करेंगे।