नई दिल्ली। सन् 1984 में 2 और 3 दिसंबर की रात को हुए भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है। कोर्ट ने आज मंगलवार, 14 मार्च को मामले पर फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार को झटका दे दिया। इस मामले (केमिकल लीक मामले) में केंद्र सरकार की तरफ से एक अर्जी दाखिल कर अतिरिक्त मुआवजे की मांग की गई थी। केंद्र सरकार की इस अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
क्यों खारिज की कोर्ट ने सरकार की अर्जी
भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड और सरकार के बीच सन् 1989, फरवरी में एक समझौता हुआ था जिसमें कंपनी द्वारा हादसे के लिए 470 मिलियन डॉलर (लगभग 715 करोड़ रुपए) का भुगतान करने की बात कही गई थी। उस वक्त सरकार की तरफ से इसे स्वीकार कर लिया गया। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भी कंपनी और सरकार के बीच हुए समझौते पर मुहर लग गई थी लेकिन बाद में कंपनी की इस चुकाई गई राशि को कम आंकते हुए सरकार ने साल 2010 में एक क्यूरेटिव याचिका दाखिल की।
WATCH | भोपाल गैस त्रासदी, SC का बड़ा फैसला @romanaisarkhan | @Sehgal_Nipun | https://t.co/smwhXURgtc #BhopalGasTragedy #SupremeCourt #Government pic.twitter.com/XCLHbkWcPH
— ABP News (@ABPNews) March 14, 2023
सरकार ने मांग की कि कंपनी 7,844 करोड़ रुपए का मुआवजा चुकाए। हालांकि सरकार की तरफ से ये कहा गया था कि ये राशि अब वहां उसकी जगह ले चुकी कंपनी डाउ केमिकल्स चुकाए। अब सरकार की इसी अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने झटका देते हुए खारिज कर दिया है।
कोर्ट ने सरकार से कही ये बात
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने केंद्र की तरफ से दाखिल याचिका पर कहा कि ये कंपनी और सरकार के बीच हुए समझौते के 21 साल बाद दाखिल की जा रही है। जो कि सही नहीं है। हमारे विचार से कंपनी द्वारा चुकाई गई राशि पर्याप्त है। वहीं, अगर सरकार को धनराशि कम लगती है तो खुद सरकार ये पैसा चुकाए। 3 दशक बीत जाने के बाद कंपनी से मुआवजा चुकाने के लिए नहीं कहा जा सकता है और न ही किसी मामले में ऐसे हमेशा के लिए खुला छोड़ा जा सकता है।