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Opposition Against Modi: पीएम मोदी के खिलाफ रणनीति बनाना दूर की बात, अभी तो अपने नेताओं के हिंदू-सनातन विरोधी बयानों से ही जूझ रहा विपक्षी दलों का गठबंधन!

Opposition meeting

नई दिल्ली। विपक्षी 28 दलों ने लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन कर लिया। विपक्षी दलों के इस गठबंधन का इरादा केंद्र की सत्ता से पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए को उखाड़ फेंकना है। विपक्षी दलों के गठबंधन की पटना, बेंगलुरु और मुंबई में तीन बैठक हो चुकी हैं, लेकिन मोदी के खिलाफ रणनीति बनाने की जगह विपक्ष का गठबंधन आपसी टकराव से ही जूझता नजर आ रहा है। एक तरफ अभी तक सीटों के बंटवारे पर फैसला नहीं हो सका है। वहीं, सनातन और हिंदू धर्म ग्रंथों के बारे में विपक्षी दलों के गठबंधन के नेताओं के जहरीले बयानों पर ही सफाई देनी पड़ रही है। विपक्षी दलों के गठबंधन को शुक्रवार को भी अपने साथी हिंदू और सनातन विरोधी नेताओं के बड़बोले बयानों पर सफाई देनी पड़ी।

डीएमके के उदयनिधि स्टालिन (बाएं) ने कहा था कि सनातन को मिटा देना चाहिए। बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर (दाएं) ने रामचरितमानस के बारे में विवादित बयान दिया।

भोपाल में न्यूज चैनल आजतक के कार्यक्रम में कांग्रेस के नेता कमलनाथ से सनातन को मिटा देने के डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन के बयान पर सवाल किया गया। कमलनाथ को इस पर मंच से कहना पड़ा कि कोई कुछ कहे, लेकिन सब जानते हैं कि हमारा देश सनातन धर्म का है। कमलनाथ ने ये भी कहा कि सनातन धर्म कहता है कि सबको साथ लेकर चलो। सुनिए सनातन धर्म पर कांग्रेस के कद्दावर नेता कमलनाथ का बयान।

एक तरफ कमलनाथ अपनी पार्टी के सहयोगी दल डीएमके की तरफ से सनातन पर उठाए गए विवाद पर अपनी बात कह रहे थे, तो वहीं, बिहार में विपक्षी दलों के गठबंधन में शामिल आरजेडी के नेता और नीतीश कुमार सरकार में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को अपनी पार्टी के नेता और शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को नसीहत देनी पड़ गई। दरअसल, चंद्रशेखर का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वो रामचरितमानस को खतरनाक जगह पोटेशियम साइनाइड बता रहे थे। इससे पहले भी चंद्रशेखर ने रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया था। देखिए अब तेजस्वी ने शिक्षा मंत्री को क्या नसीहत दी।

बहरहाल, इन सब विवादों के अचानक तेजी पकड़ने से विपक्षी दलों के गठबंधन के लिए मुश्किल पैदा होती दिख रही है। हिंदू और सनातन विरोधी बयानों को बीजेपी ने मुद्दा बना लिया है। दक्षिण के कुछ राज्यों को छोड़ दें, तो लोकसभा में ज्यादातर सीटें उत्तर भारत से हैं। ऐसे में अगर बीजेपी इस हिंदू और सनातन विरोधी विपक्षी गठबंधन के बयानों को मुद्दा बनाने में कामयाब हो गई, तो इससे विपक्ष को लोकसभा चुनाव में एकजुट होने के बावजूद एक बार फिर जोर का झटका लग सकता है।

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