News Room Post

Arvind Kejriwal : CM से PM तक की चली गई थी कुर्सी, क्या अब केजरीवाल के लिए मुसीबत बनेगा ‘नया खुलासा’?

नई दिल्ली। इस समय आम आदमी पार्टी का समय पंजाब जीतने के बाद भी उतना अच्छा नहीं चल रहा है सीबीआई और ईडी के शिकंजे में फंसी दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार अब छटपटाने लगी है। सिर्फ एक दशक के राजनीतिक सफर में एक के बाद एक सफलताएं अर्जित करने वाले आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक के लिए समय ठीक नहीं चल रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री एक के बाद एक आरोपों और मुश्किलों में घिरते जा रहे हैं। शराब घोटाले में लगते आरोपों और राजभवन से टकराव की वजह से कामकाज में आ रही दिक्कतों के बीच ‘जासूसी कांड’ से सियासी हलचल तेज हो गई है।

आपको बता दें कि CBI ने प्रारंभिक जांच के बाद दावा किया है कि 2015 में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आने के बाद ‘आप’ सरकार ने विजिलेंस डिपार्टमेंट में ‘फीडबैक यूनिट’ का गठन किया और इससे नेताओं की जासूसी कराई गई। सीबीआई ने इस मामले में केस दर्ज करने की अनुमति मांगी है। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी केजरीवाल सरकार के लिए जासूसी के आरोपों को और भी बड़ा संकट माना जा रहा है। देश में इससे पहले भी कई बार जासूसी के आरोपों से राजनीतिक भूचाल आते रहे हैं। राज्य से लेकर केंद्र तक की सरकार की बलि ‘जासूसी कांड’ ने ली है। 1988 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री रामकृष्ण को जासूसी के आरोप में इस्तीफा देना पड़ा था तो छह मार्च 1991 छह को चंद्रशेखर को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ गया था।

वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी भी इन सब चीजों से गुजर चुके हैं जब पेगासस सॉफ्टवेयर से जासूसी के आरोपों की वजह से मोदी सरकार को भी विपक्ष के प्रहार का सामना करना पड़ा। बता दें कि 80 के दशक के अंत में कर्नाटक की राजनीति में उस समय भूचाल आ गया था जब तब के मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े पर फोन टैपिंग के आरोप लगे। इसके अलावा 1990 में तब के प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को भी जासूसी के आरोपों के बाद ही इस्तीफा देना पड़ा था। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के घर के बाहर हरियाणा सीआईडी के दो पुलिसकर्मियों के पकड़े जाने पर जासूसी का शोर मचा। कांग्रेस के समर्थन से बनी समाजवादी जनता पार्टी को सरकार 4 महीने में ही खोनी पड़ गई थी।

Exit mobile version