नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में विपक्षी गठबंधन के भीतर सीटों का आवंटन एक महत्वपूर्ण बाधा के रूप में उभरा है। क्षेत्र की मुख्य विपक्षी पार्टी, समाजवादी पार्टी (सपा) कथित तौर पर आगामी 2024 के लोकसभा चुनावों में अपनी संभावनाओं को लेकर आश्वस्त है। ऐसा लगता है कि सपा अपने सहयोगियों को पर्याप्त संख्या में सीटों की पेशकश करने में अनिच्छुक है, वह बड़े पैमाने पर सीटें साझा करने के बजाय प्रतीकात्मक वितरण को प्राथमिकता दे रही है।
हालांकि, एसपी की सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) पहले ही 12 सीटों की मांग कर चुकी है, जिससे गठबंधन में दरार की आशंका है। आरएलडी की राज्य इकाई के प्रमुख रामाशीष राय ने टिप्पणी की, “गठबंधन में समाजवादी पार्टी को समायोजित करने के लिए सीटें आवंटित करने के फैसले से हमारी पार्टी को कोई खास फायदा नहीं हुआ। पश्चिमी उत्तर प्रदेश आरएलडी का गढ़ है, और 12 जिन सीटों पर हम चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं वे हैं कैराना, मुज़फ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, मेरठ, बुलन्दशहर, अलीगढ, हाथरस, फ़तेहपुर सीकरी, मथुरा और बागपत।’
जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश में राजनीतिक परिदृश्य डेवलप हो रहा है, सीट बंटवारे को लेकर खींचतान एक एकजुट और प्रभावी गठबंधन बनाने में विपक्षी दलों के सामने आने वाली चुनौतियों को खोल सकती है। राज्य आगामी चुनावों में एक महत्वपूर्ण युद्ध का मैदान बना हुआ है, जहां पार्टियां पैर जमाने और विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों से समर्थन हासिल करने की रणनीति बना रही हैं। अब देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि किस तरीके से उत्तर प्रदेश में सीटों का बंटवारा होता है और विपक्षी गठबंधन इंडिया में उत्तर प्रदेश को लेकर आपस में सामंजस्य बैठता है।