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West Bengal: सिंगुर में टाटा फैक्ट्री की विरोधी रहीं ममता अब उद्योगपतियों को लुभाने में जुटी, BJP बोली- बिजनेस नहीं ब्लड है हर तरफ

mamata at global trade summit

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में वामदलों की सरकार के दौरान तृणमूल कांग्रेस TMC सुप्रीमो ममता बनर्जी ने सिंगुर में टाटा मोटर्स की फैक्ट्री के खिलाफ जमकर आंदोलन किया था। नतीजे में टाटा को यहां फैक्ट्री खोलने का इरादा छोड़ना पड़ा। अब उस पुराने पैंतरे को छोड़कर ममता बनर्जी अपने राज्य में उद्योगपतियों को आने के लिए लुभा रही हैं। उन्होंने कल यानी बुधवार को बंगाल ग्लोबल ट्रेड समिट 2022 कराई। इस प्रोग्राम में ममता ने तमाम बड़े उद्योगपतियों को न्योता दिया और उनसे राज्य में उद्योग लगाने की गुजारिश की। ममता ने बताया कि उनकी सरकार उद्योगपतियों को हर संभव सुविधा देगी। वहीं, बीजेपी के नेता और ममता के पुराने सहयोगी सुभेंदु अधिकारी ने राज्य में हिंसा का जिक्र करते हुए कहा है कि बंगाल का मतलब अब बिजनेस नहीं, ब्लड हो गया है। उन्होंने कहा कि बंगाल अब व्यापार के लिए नहीं है, जैसा कि ममता अपने समिट से दिखाना चाह रही हैं।

ममता के ग्लोबल ट्रेड समिट में देश के जाने-माने उद्योगपति गौतम अडाणी भी शामिल हुए। उन्होंने यहां ममता दीदी के खूब गुण गाए। अडाणी ने कहा कि उनका ग्रुप पश्चिम बंगाल में 10000 करोड़ रुपए का निवेश करेगा। अडाणी ने कहा कि राज्य में कारोबार को बढ़ाने के लिए अडाणी समूह डेटा केंद्र, समुद्री केबल, भंडारण, लॉजिस्टिक पार्क और बुनियादी ढांचे में निवेश करेगा। बता दें कि अडाणी समूह का पश्चिम बंगाल के हल्दिया में पहले से ही खाद्य तेल बनाने की फैक्ट्री लगी हुई है। गौतम अडाणी के इस एलान से मंच पर मौजूद ममता और उनके मंत्री काफी उत्साहित भी दिखाई दिए।

आखिर ममता दीदी का उद्योग भगाओ से उद्योग लुभाओ वाला परिवर्तन हुआ क्यों ? जानकार मानते हैं कि युवा वर्ग में बेरोजगारी के कारण उपजे गुस्से को नियंत्रित करने के लिए ममता अब फैक्ट्रियां लगवाकर उन्हें नौकरी देना चाह रही हैं। पश्चिम बंगाल में बेरोजगारी की दर 5.4 फीसदी है। जबकि, राष्ट्रीय औसत 7.6 फीसदी है। इस बेरोजगारी दर को देखते हुए और अपनी पार्टी के भविष्य की चिंता करते हुए अब ममता दीदी उद्योग लगवाकर रोजगार मुहैया कराने की तैयारी कर रही हैं। ममता ने इसके साथ ही कई नए जिले बनाने का भी एलान किया है। इसके जरिए भी सरकारी नौकरियां देने का उनका इरादा है। पश्चिम बंगाल में उद्योग आना नहीं चाहते। इसकी वजह हिंसा और कथित तौर पर तृणमूल कार्यकर्ताओं की तरफ से कट मनी लेना है।

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