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UCC: हिमंता बिस्वा सरमा सरकार ने खत्म किया मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट, अब स्पेशल मैरिज एक्ट से होगा रेजिस्ट्रेशन

नई दिल्ली। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर उत्तराखंड में सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला और सरकार ने यूसीसी को लागू भी कर दिया। अब उत्तराखंड की तर्ज पर असम में भी अहम फैसला लिया है। राज्य में हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार ने देर रात (24 फरवरी) को मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण कानून 1930 को खत्म कर दिया है। इसकी जानकारी खुद  हिमंता बिस्वा सरमा ने सोशल मीडिया पर शेयर की है। इसके अलावा विवाह की उम्र को लेकर भी बड़ी बात कही है।


खत्म किया मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण एक्ट

हिमंता बिस्वा सरमा ने ट्विटर पर नए फैसले की जानकारी देते हुए  लिखा- ” सदियों पुराने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम को असम कैबिनेट ने खत्म कर दिया है…।इस अधिनियम में विवाह पंजीकरण की अनुमति देने वाले प्रावधान शामिल थे, भले ही दूल्हा और दुल्हन 18 और 21 वर्ष की कानूनी उम्र तक नहीं पहुंचे हों, जैसा कि कानून द्वारा आवश्यक है। यह कदम असम में बाल विवाह पर रोक लगाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है“। बता दें कि मुस्लिम समुदाय के निकाह और तलाक के मामलों को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत सुलझाया जाएगा। यानि तलाक या शादी रजिस्टर से जुड़ा काम अब जिला आयुक्त और जिला रजिस्ट्रार करेंगे। पहले ये अधिकार  मुस्लिम मैरिज एंड डाइवोर्स एक्ट तहत काम कर रहे मुस्लिमों को था, लेकिन अब सरकार उन्हें भी हटाने वाली हैं।


बाल विवाह पर लगेगी रोक

कैबिनेट मंत्री जयंत बरुआ ने मामले पर जानकारी देते हुए बताया कि उत्तराखंड की दर्ज पर हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार भी  राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करेगा। सरकार का मानना है कि उससे राज्य में बाल विवाह जैसे अपराधों पर रोक लगेगी।


राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर भी अहम कदम

हिमंता बिस्वा सरमा सरकार ने शिक्षा को लेकर भी अहम कदम उठाया है। उन्होंने ट्वीट में लिखा-” एनईपी 2020 के अनुसार शिक्षा के माध्यम के रूप में 6 जनजातीय भाषाओं- मिसिंग, राभा, कार्बी, तिवा, देवरी और दिमासा का परिचय होगा और 4 जिलों में मणिपुर को सह-योगी राजभाषा के रूप में शामिल किया जाएगा”

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