नई दिल्ली। उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता (यूसीसी) बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई है। इसके साथ ही अब समान नागरिक संहिता कानून लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला प्रदेश बन गया है। उत्तराखंड सरकार ने सामान नागरिक संहिता लागू करने के लिए नियमों और उपनियमों को बनाने के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है। नियमावली बनने के बाद उत्तराखंड सरकार द्वारा इसे पूरे राज्य में लागू कर दिया जायेगा।
हम सभी प्रदेशवासियों के लिए यह अत्यंत हर्ष और गौरव का क्षण है कि हमारी सरकार द्वारा उत्तराखण्ड विधानसभा में पारित समान नागरिक संहिता विधेयक को आदरणीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी ने अपनी मंजूरी प्रदान की है।
निश्चित तौर पर प्रदेश में समान नागरिक संहिता कानून लागू होने से…
— Pushkar Singh Dhami (Modi Ka Parivar) (@pushkardhami) March 13, 2024
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए यह जानकारी साझा की। समान नागरिक संहिता का कानून लागू करने के लिए नियम बनाने वाली पांच सदस्यों वाली कमेटी में पूर्व आईएएस शत्रुघ्न सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौर, दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल, अपर पुलिस महानिदेशक अमित सिन्हा और उत्तराखंड के स्थानीय आयुक्त अजय मिश्रा को शामिल किया गया है। यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है कि हर धर्म, जाति, संप्रदाय, वर्ग के लिए एक ही नियम। एक समान कानून के साथ ही सभी धार्मिक समुदायों के लिये विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने के नियम एक ही होंगे। संविधान के अनुच्छेद-44 में सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करने की बात कही गई है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने लिखा, हम सभी प्रदेशवासियों के लिए यह अत्यंत हर्ष और गौरव का क्षण है कि हमारी सरकार द्वारा उत्तराखण्ड विधानसभा में पारित समान नागरिक संहिता विधेयक को आदरणीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु जी ने अपनी मंजूरी प्रदान की है।
ऐतिहासिक समान नागरिक संहिता विधेयक-2024 विधानसभा में पारित..
माँ गंगा व यमुना की उद्गम स्थली देवभूमि उत्तराखण्ड से निकली UCC के रूप में समानता और समरूपता की यह अविरल धारा संपूर्ण देश का पथ प्रदर्शित करेगी। यह विधेयक मातृशक्ति के सम्मान एवं उनकी सुरक्षा के प्रति हमारी सरकार की… pic.twitter.com/0nfGBA3L3C
— Pushkar Singh Dhami (Modi Ka Parivar) (@pushkardhami) February 7, 2024
उत्तराखंड सरकार ने इसे कुछ दिनों पहले ही विधानसभा में पारित किया था। चूंकि, समान नागरिक संहिता समवर्ती सूची का विषय है, इस विषय पर राज्य और केंद्र दोनों ही कानून बना सकते हैं। लेकिन समान मुद्दे पर कानून होने पर केंद्र का कानून प्रभावी माना जाता है। इसीलिए इस बिल को उत्तराखंड विधानसभा से पारित होने के बाद राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा गया था। अब राष्ट्रपति से स्वीकृति मिलने के बाद यह कानून बन गया है। हालांकि, नियम बनाने के बाद ही यह व्यावहारिक रूप से लागू किया जायेगा।