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Riot Free UP: CM योगी के राज में दंगामुक्त हुआ यूपी, NCRB के आंकड़ों ने सामने रखी सुशासन की तस्वीर

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लखनऊ। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में यूपी में सबसे बड़ा मुद्दा कानून और व्यवस्था का था। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध और आए दिन होने वाले दंगों से निजात पाने के लिए यूपी की जनता ने बीजेपी को सत्ता सौंपी थी। इस साल जनवरी में यूपी के लोगों ने पिछला रिकॉर्ड तोड़ते हुए एक बार फिर बीजेपी को यूपी की सरकार सौंप दी। लोगों के इस भरोसे को सीएम योगी आदित्यनाथ ने बनाए रखा। नतीजे में यूपी में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध समेत तमाम वारदात तो कम हुए ही हैं, सुशासन की नई तस्वीर बता रही है कि सूबा अब दंगामुक्त भी हो गया है। इसकी बड़ी वजह अपराधियों और दंगाइयों के खिलाफ योगी की नो टॉलरेंस नीति और अपराधियों का एनकाउंटर और उनके अवैध घरों और कब्जों को बुलडोजर से गिराया जाना भी माना जा रहा है।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो NCRB के ताजा आंकड़ों को देखें, तो यूपी में योगी की सख्त प्रशासक की छवि सामने आई है। यूपी में जनता को कितनी सुरक्षा मिली है, ये हम आपको एक-एक कर बताएंगे। एनसीआरबी के आंकड़े बता रहे हैं कि यूपी में 2017 के बाद से सांप्रदायिक हिंसा यानी दंगे की घटनाओं में व्यापक गिरावट आई है। साल 2019 और 2020 में एक भी दंगा नहीं हुआ। सिर्फ 2021 में दंगे की एक घटना हुई। अन्य राज्यों से इसकी तुलना करें, तो झारखंड में 100, बिहार में 51, राजस्थान में 22, महाराष्ट्र में 77 और हरियाणा में सांप्रदायिक हिंसा की 40 घटनाएं हुईं। देशभर की बात करें, तो साल 2021 में सांप्रदायिक हिंसा की कुल 378 घटनाएं दर्ज की गईं।

यूपी में बीजेपी की सरकार बनने से पहले महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध की जैसे बाढ़ आई हुई थी। इन घटनाओं में भी योगीराज के दौरान काफी कमी आई है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 में यूपी में बच्चों के खिलाफ 18943 अपराध की घटनाएं हुईं, जो 2021 में घटकर 16838 हो गईं। वहीं, 2019 में यूपी में महिलाओं के खिलाफ अपराध की 59853 केस दर्ज किए गए थे। जो 2021 में घटकर 56083 हो गए। साइबर क्राइम के मामलों में भी 22.6 फीसदी की कमी हुई और साल 2021 में ये घटकर 8829 हो गए।

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