नई दिल्ली। इस वक्त सुर्खियों में दो ही चीज चल रही हैं ईडी का ताबतोड़ एक्शन और कॉमनवेल्थ में भारत का जबरदस्त प्रदर्शन। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के नेता पार्थ चटर्जी और उनकी महिला मित्र अर्पिता मुखर्जी के घर छापेमारी के दौरान 50 करोड़ रुपए से ज्यादा कैश बरामद हुआ था। इसके साथ ही पांच किलो से ज्यादा सोने-चांदी के गहने भी जब्त किए गए थे। नोटों का वो पहाड़ जाहिर तौर पर आपने भी देखा होगा। अब सोचिए कि, आपके और हमारे घर में इतनी बेकार कागज की रद्दी नहीं निकलती जितने अर्पिता मुखर्जी के फ्लैटों से 500 और 2000 के नोट निकले हैं। नोटों के ढेर की ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हुईं। लेकिन नोटों के इतने बड़े-बड़े बंडल देखकर आप भी सोचते होंगे कि यार आखिर इतने पैसों का होता क्या होगा, ईडी इन्हें जब्त करने के बाद इनका क्या करती है और जो गहने बरामद होते हैं उनका क्या किया जाता है? आपके मन में ये सवाल आना लाजमी भी है। इस खबर में हम आपकी इस शंका का समाधान कर देते हैं और आपको बताते हैं कि क्या होता है इतने पैसे का और कहां जाता है बरामदगी वाला ये ढेर सारा सोना।
ईडी के छापे में कई चीजें बरामद होती हैं। इनमें पेपर डॉक्यूमेंट्स, कैश और अन्य कीमती सामान जैसे सोने-चांदी के गहने मिल सकते हैं। ईडी की छापेमारी में जब्त की गई चीजों का सबसे पहले पंचनामा तैयार करती है। पंचनामा जांच एजेंसी का IO यानि इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर बनाता है। पंचनामे पर दो स्वतंत्र गवाहों के दस्तखत होते हैं। साथ ही इस पर जिस व्यक्ति का सामान जब्त होता है, उसके भी साइन लिए जाते हैं।पंचनामा बनने के बाद जब्ती किया गया सामान केस प्रॉपर्टी बन जाता है। सबसे पहले जब्त किए गए कैश का पंचनामा बनाया जाता है। पंचनामे में इस बात का जिक्र होता है कि कुल कितने पैसे बरामद हुए, कितनी गड्डियां हैं, कितने 200 और 500 के या और दूसरे नोट हैं।
जब्त हुए कैश में अगर नोट पर कोई निशान हो, कुछ लिखा हो या नोट लिफाफे में हो तो उसे जांच एजेंसी अपने पास जमा कर लेती है, ताकि इसे कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश किया जा सके इसके अलावा बाकी बचे पैसों को जांच एजेंसियां रिजर्व बैंक या स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में केंद्र सरकार के खाते में जमा करा देती हैं। कभी कुछ पैसों को रखने की जरूरत होती है तो उसे एजेंसी इंटरनल ऑर्डर से केस की सुनवाई पूरी होने तक अपने पास जमा रखती है।
बात अगर संपत्ति की करें तो ED के पास PMLA के सेक्शन 5 (1) के तहत संपत्ति अटैच करने का अधिकार है, अदालत में संपत्ति की जब्ती साबित होने पर इस संपत्ति को PMLA के सेक्शन 9 के तहत सरकार कब्जे में ले लेती है। PMLA के तहत ईडी अधिकतम 180 दिन यानि 6 महीने के लिए किसी संपत्ति को अटैच कर सकती है। अगर तब तक ईडी संपत्ति अटैच करने को अदालत में वैध नहीं ठहरा पाती है तो 180 दिन बाद संपत्ति खुद ही रिलीज हो जाती है।
अगर ED 180 दिनों के अंदर प्रॉपर्टी अटैच करने को अदालत में सही साबित कर देती है तो संपत्ति पर सरकार का कब्जा हो जाता है। इसके बाद आरोपी को ED की इस कार्रवाई के खिलाफ ऊपरी अदालतों में अपील करने के लिए 45 दिन का समय मिलता है। ये तो हुई कैश और प्रॉपर्टी की बात लेकिन ईडी आखिर ये चमचमाते मनभावन सोने का क्या करती है? दरअसल, ईडी अगर सोना-चांदी, गहने और अन्य कीमती सामान बरामद करती है, तो उसका भी पंचनामा बनाती है। पंचनामे में इस बात की पूरी जानकारी होती है कि उसे कितना सोना गहने या कितना कीमती सामान मिला है। सोने-चांदी के गहने और अन्य कीमती सामान को जब्त करके ईडी सरकारी मालखाने या भंडार घर में जमा करवा देती है। लेकिन आपको जानकर शायद ताज्जुब होगा कई बार ऐसा भी हुआ है कि ईडी को छापेमारी में लक्जरी गाड़ियां भी बरामद हुई हैं तो जब तक कोर्ट के आदेश पर उनकी नीलामी नहीं हो जाती तब तक उनकी पार्किंग तक का खर्चा ईडी को अपनी जेब से देना पड़ता है।