प्रयागराज। गाजीपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी की सांसदी पर तलवार लटकी है। एक हाई प्रोफाइल हत्याकांड में शामिल होने के आरोप में अफजाल अंसारी को निचली अदालत ने सजा सुनाई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट अब फैसला सुनाकर उनका सियासी भविष्य तय करेगा। निचली अदालत से अफजाल अंसारी को अप्रैल 2023 में 4 साल की सजा सुनाई गई थी। जिसे अफजाल अंसारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
अफजाल अंसारी मऊ के हैं। उनके छोटे भाई का नाम मुख्तार अंसारी था। मुख्तार अंसारी को यूपी के खतरनाक माफिया डॉन के तौर पर पहचाना जाता था। अफजाल अंसारी के एक और भाई सिबगतउल्लाह अंसारी भी हैं। सिबगतउल्लाह अंसारी यूपी में विधायक रह चुके हैं। अफजाल अंसारी को बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या की साजिश रचने के आरोप में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के तहत एमपी-एमएलए कोर्ट ने सजा सुनाई थी। अफजाल अंसारी हाल के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर सांसद बने हैं। वो बीएसपी में भी रहे हैं। 3 बार के सांसद के अलावा अफजाल अंसारी 5 बार यूपी में विधायक भी रहे हैं।
अफजाल अंसारी ने 2004 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर गाजीपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था और सांसद बने थे। इसके बाद 2005 में कृष्णानंद राय की हत्या हुई और साजिश रचने के आरोप में अफजाल अंसारी को जेल जाना पड़ा। फिर 2009 में बीएसपी के टिकट पर अफजाल अंसारी ने फिर लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। 2014 में अंसारी बंधुओं ने कौमी एकता दल बनाया और अफजाल इसके टिकट पर बलिया लोकसभा सीट से चुनाव लड़े, लेकिन फिर हारे। साल 2019 में अफजाल अंसारी को बीएसपी ने टिकट दिया और गाजीपुर से सांसद चुने गए। कार्यकाल पूरा होने से पहले ही एमपी-एमएलए कोर्ट ने उनको 4 साल की सजा सुना दी और अफजाल को जेल जाना पड़ा। अब सबकी नजर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी है। हालांकि, अफजाल की सजा अगर बरकरार रहती है, तो उनके पास इसे चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता है।