नई दिल्ली। 28 विपक्षी दलों का गठबंधन बन चुका है, लेकिन आए दिन इस गठबंधन में टकराव की खबरें आती रहती हैं। अब विपक्षी गठबंधन के खेमे में एक और टकराव देखने को मिल सकता है। वजह है राहुल गांधी की वायनाड लोकसभा सीट। राहुल गांधी ने 2019 का लोकसभा चुनाव यूपी की अमेठी के साथ केरल की वायनाड सीट से भी लड़ा था। अमेठी में उनको स्मृति इरानी ने पराजित किया था। वहीं, वायनाड से चुनाव जीतकर राहुल गांधी लोकसभा पहुंचे थे। अगले साल लोकसभा चुनाव हैं। अब तक यही माना जा रहा था कि राहुल गांधी एक बार फिर वायनाड सीट से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, लेकिन अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या राहुल गांधी को वायनाड सीट छोड़कर किसी और सीट से किस्मत आजमानी होगी? ये सवाल उठा है विपक्षी गठबंधन में शामिल कम्युनिस्ट पार्टियों में से एक सीपीआई की वजह से।
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक बीते दिनों सीपीआई के केंद्रीय नेतृत्व की बैठक में फैसला हुआ है कि राहुल गांधी से पार्टी अनुरोध करेगी कि वो वायनाड सीट से लोकसभा चुनाव न लड़ें। सीपीआई की तरफ से अब इस अनुरोध को कांग्रेस के आलाकमान तक पहुंचाया जाएगा। सीपीआई का केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि राहुल गांधी किसी बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ें। केरल में सीपीआई के उम्मीदवार पहले वायनाड सीट से चुनाव लड़ते भी रहे हैं। वायनाड लोकसभा सीट को राहुल गांधी ने 2019 में 4.31 लाख वोट के अंतर से जीता था। अब सवाल ये है कि अगर सीपीआई अपने अनुरोध पर अड़ी रही, तो राहुल गांधी अगला लोकसभा चुनाव किस सीट से लड़ेंगे? क्या वो अपनी पुरानी अमेठी सीट पर एक बार फिर किस्मत आजमाएंगे?
न्यूज एजेंसी ने वायनाड सीट और राहुल गांधी के बारे में सीपीआई के फैसले पर केरल कांग्रेस के अध्यक्ष के. सुधाकरन से बात की। सुधाकरन ने कहा कि सीपीआई या कोई भी सहयोगी दल दूसरी पार्टियों के चुनाव लड़ने के फैसले के बारे में तय नहीं कर सकते। सुधाकरन ने ये साफ कर दिया कि राहुल गांधी वायनाड सीट से ही लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। अगर कांग्रेस और सीपीआई दोनों ही अपने रुख पर अड़े रहे, तो इससे विपक्षी गठबंधन में नया टकराव होने के आसार हैं।