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President Election 2022: यशवंत सिन्हा की इन तीन राज्यों में हुई भारी दुर्गति, नहीं मिला एक भी वोट, अपनों को भी नहीं सुहाए फूटी आंख

yashwant sinha

नई दिल्ली। तो वही हुआ…जिसकी उम्मीद हम सभी को थी…जिसके कयास पिछले कई दिनों से लगाए जा रहे थे…जिसकी सियासी चर्चा पिछले कई दिनों से थी…जिसकी संभावना बनी हुई थी…जी बिल्कुल…सही फरमाया आपने…हम बात कर रहे हैं राष्ट्रपति चुनाव की…राष्ट्रपति चुनाव में बेशक कल यानी की गुरुवार को द्रौपदी मुर्मू ने यशवंत सिन्हा को सियासी दंगल में पटखनी दी हो, लेकिन इस बात के कयास पिछले कई दिनों से लगाए जा रहे थे कि वे विपक्ष के उम्मीदवार सिन्हा को पटखनी दे सकती हैं। हम सभी ने देखा कि मुर्मू ने कुल 6 लाख 76 हजार 803 वोटों से सिन्हा को पटखनी देकर देश की महामहिम की कुर्सी पर विराजमान हुईं हैं। हम सभी ने देखा है कि किस तरह से ना महज सत्तापक्ष, बल्कि विपक्ष के सभी दलों ने चुनाव से पहले मुर्मू का समर्थन करने का ऐलान किया था, जिसमें झारखंड में कांग्रेस के साथ सरकार चला रहे हेमंत सोरेन को भला कैसे भलाया जा सकता है। कैसे भुलाया जा सकता है, बीजू जनता दल को , जिन्होंने संप्रग का हिस्सा होने के बावजूद भी मुर्मू का समर्थन करने का ऐलान किया था, कैसे भुलाया जा सकता है, जब विपक्ष से ताल्लुक रखने वाले कई नेताओं ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंकते हुए मुर्मू के समर्थन में वोट करने से गुरेज नहीं किया था।

कैसे भुलाया जा सकता है कि जब समाजवादी पार्टी के विधायकों ने अखिलेश यादव की चेतवानी को अनसुना कर मुर्मू को समर्थन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। कैसे भुलाया जा सकता है, जब दिन- रात मोदी सरकार की आलोचना करने में मसरूफ रहने वालीं मायावती ने मूर्मु का समर्थन करने का ऐलान कर दिया था। तो इस तरह से आप देख सकते हैं कि कैसे विपक्षी कुनबा ताश के पत्तों की तरह बिखर गया। हम सभी देखा कि कैसे विपक्षी कुनबा किसी गगनचुंबी इमारत की भांति धराशायी हो गया। तो अब आप ही बताइए कि ऐसी स्थिति में सिन्हा की दुर्गति तय नहीं थी?

 

 

बिल्कुल सही कहा आपने…थी…और जिसे हम सभी ने बीते गुरुवार अपनी आंखों से देखा है। लेकिन, अब सिन्हा की दुर्गति का ऐसा नमूना सामने आया है, जिसे जानकर आप माथा पिटने लग जाएंगे। जी हां…आपको बता दें कि राष्ट्पति चुनाव में एक नहीं, दो भी नहीं, बल्कि तीन राज्यों से सिन्हा की झोली में कोई भी वोट नहीं गया है, जिसमें क्रमश: आंध्र प्रदेश, नागालैंड और सिक्कम शामिल हैं। बता दें कि इन तीनों ही राज्यों की तरफ से राष्ट्रपति चुनाव में सिन्हा को कोई भी एक भी वोट नहीं दिया गया है, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि इन सूबों के विपक्षी दलों ने भी सिन्हा का साथ देना जरूरी नहीं समझा है। जिससे यह साफ जाहिर होता है कि सिन्हा चुनाव मुकम्मल होने से पहले ही अपनी स्वीकार्यता खो चुके थे।

बहरहाल, जो भी हो, लेकिन द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति की कुर्सी पर विराजमान होकर इतिहास रच दिया है। वे देश की दूसरी महिला व पहली आदिवासी राष्ट्रपति बनीं हैं। अब उम्मीद है कि आगामी दिनों में वे बतौर राष्ट्रपति देश के विकास में अप्रीतम योगदान देंगी।

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