News Room Post

Politics : संकट में शिवसेना – उद्धव गुट ने चुनाव आयोग को सौंपे चुनाव चिह्न के विकल्प, अब चुनाव आयोग करेगा फैसला

Politics : मातोश्री में जब उद्धव गुट के नेताओं के बीच बैठक हुई तो इस बैठक के दौरान चुनाव आयोग के निर्देशानुसार पार्टी के नए नाम और चुनाव चिन्ह को लेकर खूब चर्चा हुई। इस बीच उद्धव ठाकरे ने कहा कि उद्धव कुछ भी नहीं हैं, यह उद्धव बालासाहेब ठाकरे हैं और यही मुझे महत्वपूर्ण बनाता है।

मुम्बई। महाराष्ट्र की राजनीति में राजनीतिक हलचल दिन-ब-दिन तेज होती जा रही है। शिवसेना के अंदर बगावत नजर आ रही है तो दूसरी तरफ हर कोई वहां सरकार बनाने का मौका तलाश रहा है। इधर चुनाव चिन्ह को लेकर चल रहे बवाल के बीच रविवार को मुंबई के अंधेरी ईस्ट में होने वाले उप-चुनाव के लिए उद्धव ठाकरे ने अपनी पार्टी के नाम और निशान की सूची चुनाव आयोग को सौंप दी है।

मातोश्री में जब उद्धव गुट के नेताओं के बीच बैठक हुई तो इस बैठक के दौरान चुनाव आयोग के निर्देशानुसार पार्टी के नए नाम और चुनाव चिन्ह को लेकर खूब चर्चा हुई। इस बीच उद्धव ठाकरे ने कहा कि उद्धव कुछ भी नहीं हैं, यह उद्धव बालासाहेब ठाकरे हैं और यही मुझे महत्वपूर्ण बनाता है। मुझे आज भी 19 जून, 1966 को शिवसेना का स्थापना दिवस याद है, जब शिवाजी पार्क में सेना का गठन हुआ था। मार्मिक साप्ताहिक के जरिए बालासाहेब मराठी मानुषों के मुद्दों को उठाते थे। उद्धव ठाकरे का यह बयान राजनीतिक तौर पर कई मायनों को बयान करता है।

चुनाव चिन्ह को लेकर चल रहे बवाल के बीच शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद अरविंद सावंत ने बताया कि हमारी पार्टी का नाम शिवसेना है। अगर चुनाव आयोग शिवसेना (बालासाहेब ठाकरे)’, ‘शिवसेना (प्रबोधनकर ठाकरे)’ या ‘शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)’ सहित शिवसेना से संबंधित कोई भी नाम देता है, तो वह हमें स्वीकार्य होगा। अभी चुनाव आयोग के ऊपर है कि वह हमें क्या चिन्ह देते हैं। आगे इसपर उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने हमारे चुनाव चिन्ह को सील कर दिया है। उन्होंने हमें चिन्हों को दिए जाने सम्बंधी सुझाव मांगे थे जिस पर उद्धव ठाकरे ने ‘त्रिशूल’, ‘मशाल’ और ‘उगता हुआ सूरज’ चिन्ह चुनाव आयोग को दिए हैं। चुनाव आयोग जो ठीक समझे हमें वह चिन्ह दे दे।

गौरतलब है कि इससे पहले चुनाव आयोग द्वारा शनिवार को शिवसेना के नाम और चुनाव चिन्ह तीर कमान पर रोक लगा दी थी। अब आने उपचुनाव में दोनों में से कोई भी दल इस चुनाव चिह्न का उपयोग नहीं कर पाएगा। चुनाव आयोग ने दोनों गुटों से कहा था कि वे उपचुनावों के लिए अधिसूचित फ्री सिंबल की लिस्ट से अलग-अलग चुनाव चिह्न चुनें और दस तारीख तक बता दें। अब दोनों गुट चुनाव चिन्ह को लेकर उधेड़बुन में लगे हुए हैं।

 

Exit mobile version