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अमेरिका महामारी से लड़ने में सबसे महत्वपूर्ण 70 दिन कैसे चूक गया : वाशिंगटन पोस्ट

नई दिल्ली। जैसे-जैसे मृतकों की संख्या आगे बढ़ती जा रही है, अमेरिकी मीडिया इस बात पर विचार करने लगा है कि अमेरिका ने महामारी के खिलाफ लड़ने में कैसे कीमती समय बर्बाद किया है। ‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने 4 अप्रैल को कोरोनो वायरस संकट आने के पहले 70 दिनों में अमेरिका के विफल अनुभव और इसके मूल कारणों के बारे में एक लेख जारी किया, जिसमें अमेरिकी सरकार के अधिकारियों, सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों, खुफिया अधिकारियों और अन्य लोगों के साथ 47 साक्षात्कार शामिल हैं।


लेख में कहा गया है कि सभी चरम उपायों के बावजूद, और यह भी माना जाता है कि अमेरिका हमेशा महामारी से निपटने के लिए सबसे अच्छी तरह से तैयारी करने वाला देश है, लेकिन अतत: कोरोना वायरस के सामने भयंकर रूप से हार गया। अब तक अमेरिका में कोविड-19 से संक्रमित रोगियों की संख्या दुनिया में सबसे अधिक रही है।

लेख के मुताबिक, प्रारंभिक सूचना मिलने के 70 दिनों के बाद ही ट्रम्प को आखिरकार यह एहसास हुआ कि कोरोना वायरस इतना घातक व भयानक है, जो आसानी से हजारों लोगों को मार सकता है। लेख में कहा गया है कि सबसे गंभीर विफलता यह है कि नैदानिक परीक्षणों को विकसित करने के शुरुआती प्रयास विफल रहे।


इस तरह के परीक्षणों को पूरे अमेरिका में बड़े पैमाने पर किया जा सकता था, ताकि संबंधित एजेंसियों को बीमारी के प्रकोप का पता लगाने और उसे नियंत्रित करने के लिए संगरोध उपाय करने के मौके मिलें। लेख का मानना है कि आंतरिक कलह, क्षेत्रीय विवाद और नेतृत्व में अचानक परिवर्तन ने व्हाइट हाउस के महामारी से लड़ाई में बाधा डाली।

लेख में कहा गया कि हफ्तों के लिए, ट्रम्प ने इस संकट के बारे में कुछ नहीं कहा। साथ ही उन्होंने अपनी सरकार में खुफिया अधिकारियों और वरिष्ठ सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों की चेतावनी को भी खारिज कर दिया। ट्रम्प अमेरिका में बड़े पैमाने पर फैली महामारी पर चिंतित नहीं हैं।


तथ्यों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि शिथिलता की कीमत काफी महंगी है। वेंटिलेटर, मास्क और अन्य सुरक्षात्मक उपकरणों के भंडारण का अवसर चूक गया। मार्च के अंत में, सरकार ने 10,000 वेंटिलेटर का ऑर्डर दिया, जो कि सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों और राज्यपालों की मांग से बहुत कम है। ये मशीनें गर्मियों या शरद ऋतु तक अमेरिका में नहीं पहुंचेंगी।

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