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USA: अमेरिका की ‘कश्मीर’ पर टिप्पणी ने बढ़ा दी पाकिस्तान की मुश्किलें

America: अमेरिका ने जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LoC) पर घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों की फिर निंदा करते हुए कहा है कि यह वहां के घटनाक्रमों पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं। विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस (US State Department Spokesperson Ned Price) ने गुरुवार को कहा, "हम उन आतंकवादियों की निंदा करते हैं जो नियंत्रण रेखा के पार घुसपैठ करना चाहते हैं।"  

Joe Biden And Modi

न्यूयॉर्क। एक तरफ जहां अमेरिका (America) ने एक बार फिर से पाकिस्तान (Pakistan) को आतंकवाद के मुद्दे पर जमकर खरी खोटी सुनाई है। वहीं दूसरी ओर अमेरिका की बाइडन सरकार ने कश्मीर को लेकर भी टिप्पणी की है जिसके बाद पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को बड़ा झटका लग सकता है। दरअसल कश्‍मीर में आर्टिकल 370 को खत्‍म करके केंद्र शासित प्रदेश बनाने के भारत के फैसले का दुनियाभर में विरोध कर रहे पाकिस्‍तान को अमेरिका ने बड़ा झटका दिया है। बता दें कि अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के साथ ही यह सवाल उठ रहा था कि क्या कश्मीर को लेकर जो बाइडन सरकार की नीति पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप जैसे होगी? अब बाइडन प्रशासन ने इस बात के पुख्ता संकेत दिए हैं कि अमेरिका जम्मू-कश्मीर को लेकर अपनी नीति में परिवर्तन नहीं करने जा रही है।

अमेरिका ने जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LoC) पर घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों की फिर निंदा करते हुए कहा है कि यह वहां के घटनाक्रमों पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं। विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस (US State Department Spokesperson Ned Price) ने गुरुवार को कहा, “हम उन आतंकवादियों की निंदा करते हैं जो नियंत्रण रेखा के पार घुसपैठ करना चाहते हैं।”

एक रिपोर्टर द्वारा प्राइस की डेली ब्रीफिंग में यह पूछे जाने पर कि विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन यह सुनिश्चित करने के लिए क्या करने जा रहे हैं कि दोनों देशों द्वारा नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम समझौते का पालन हो तो प्राइस ने कहा, “हमने जम्मू-कश्मीर में घटनाक्रम पर बारीकी से नजर बनाए रखना जारी रखा है। क्षेत्र के प्रति हमारी नीति नहीं बदली है।”

उन्होंने कहा, “हम सभी पक्षों से 2003 की संघर्ष विराम प्रतिबद्धताओं पर लौटकर नियंत्रण रेखा पर तनाव को कम करने का आह्वान करते हैं।” प्राइस ने कहा कि जब बात यह आती है कि हम किस तरह से समर्थन करेंगे, तो हम भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर और चिंता के अन्य क्षेत्रों में सीधे संवाद का समर्थन करते रहेंगे।

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