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स्टडी से चला पता, कोरोना के इलाज में इन एंटी-वायरल दवाओं ने दिखाया कमाल

नई दिल्ली। महामारी कोरोनावायरस का इलाके ढूंढने में दुनिया का लगभग हर देश जुटा हुआ है। बड़े बड़े वैज्ञानिक वैक्सीन की खोज में लैब के दिन रात गुजार रहे हैं। लेकिन परिणाम उतने संतोषजनक नहीं मिले हैं जिससे कहा जा सके कि हम इलाज के करीब भी पहुंचे हैं। लेकिन अब एक नई खोज से एक उम्मीद की किरण नजर आ रही है।

दरअसल तीन दवाओं को मिला कर किए गए पहले परीक्षण के निष्कर्षों के अनुसार कोविड-19 के लक्षण दिखने के सात दिनों के अंदर शुरू किए गए दो हफ्ते के इस विषाणु रोधी उपचार से रोगियों के ठीक होने की प्रक्रिया में सुधार आ सकता है और अस्पताल में रह कर इलाज कराने की मीयाद घट सकती है।

‘द लांसेट’ पत्रिका में छपे अध्ययन में हांगकांग के 6 सरकारी अस्पतालों के 127 वयस्क सम्मिलित हुए और उन पर कोरोना वायरस के संक्रमण को कम करने में वायरस रोधी दवा की प्रभाव क्षमता की जांच की गई।

अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक, उपचार में इंटरफेरोन बीटा-1बी, विषाणु रोधी दवा लोपिनाविर-रिटोनाविर और रिबाविरीन के संयोजन को शामिल किया गया। यह संयोजन लोपीनाविर-रिटोनाविर की तुलना में संक्रमण को कम करने में बेहतर साबित हुआ।

उन्होंने तीसरे चरण में वृहद् परीक्षण की आवश्यकता पर बल दिया ताकि गंभीर रूप से बीमार रोगियों के इलाज में इन तीन दवाओं के संयोजन के प्रभाव की जांच की जा सके। उन्होंने कहा कि ये प्रारंभिक निष्कर्ष केवल हल्के बीमार लोगों के उपचार से निकाले गए।

वैज्ञानिकों ने कहा कि लोपीनाविर-रिटोनाविर की तुलना में इन दवाओं के इलाज से सुधार अपेक्षाकृत ज्यादा दिखा ओर लोग कम समय तक अस्पतालों में रह सकते हैं।

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