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चीन की यात्रा को लेकर अमेरिका और ब्रिटेन ने अपने नागरिकों के लिए जारी की सख्त चेतावनी, कही ये बात

Donald Trump Johnson

नई दिल्ली। कोरोना वायरस को लेकर चीन जिस तरह से पूरी दुनिया में बदनाम हुआ है उसको लेकर अब उसे परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों ने तो चीन के खिलाफ लड़ाई में आर-पार का मूड बना लिया है। इन दोनों देशों ने तो अब अपने नागरिकों के लिए ट्रैवल एडवाइजरी जारी की है जिसमें चीन और हॉन्ग कॉन्ग की यात्रा करने को लेकर चेतावनी दी गई है।

बता दें कि अमेरिका और ब्रिटेन ने अपने नागरिकों से साफ कहा है कि अगर वह चीन या हॉन्ग कॉन्ग की यात्रा करते हैं तो चीन उनपर तानाशाही दिखाते हुए मनमाने तरीके से हिरासत में ले सकती है और उनपर स्थानीय कानून थोपे जाने का खतरा है। जारी की गई नई ट्रैवल एडवाइजरी से चीन का ब्रिटेन और अमेरिका से तनाव का बढ़ना तय माना जा रहा है।

बता दें कि हाल में ही अमेरिका ने चीनी छात्रों और नागरिकों के लिए वीजा नियमों को कड़ा कर दिया है। चीनी सरकार के मुताबिक, अमेरिका ने इस साल जुलाई में केवल 145 चीनी छाज्ञों को ही वीजा जारी किया है। यह पिछले साल जुलाई की तुलना में केवल 0.7 फीसदी ही है। नई एडवाइजरी में अमेरिकी नागरिकों को चेतावनी दी गई है कि चीन जांचकर्ताओं से सहयोग करने को मजबूर करने के लिए मनमाने तरीके से हिरासत में ले सकता है। चीन उन्हें नियमों का हवाला देते हुए गिरफ्तार भी कर सकता है। इसके अलावा अमेरिका और ब्रिटेन के लोगों पर बाहर जाने पर भी प्रतिबंधित लग सकता है। ऐसे में मजबूरन अमेरिकी और ब्रिटेन के नागरिकों को वहां रहना पड़ेगा। विदेश से परिवार के सदस्यों को चीन लौटने के लिए दबाव डाल सकता है और दीवानी विवादों को प्रभावित कर सकता है।

जारी की गई सलाह में कहा गया है कि चीन या हॉन्ग कॉन्ग में रहने वाले या वहां की यात्रा पर जाने वाले अमेरिकी नागरिकों को वह हिरासत में ले सकता है और ना उन्हें राजनयिक पहुंच देगा और न ही उनके कथित अपराध के बारे में कोई सूचना देगा। अमेरिकी नागरिकों से लंबे समय तक पूछताछ की जा सकती है और बिना कानूनी प्रक्रिया के उनकी हिरासत को बढाया जा सकता है। परामर्श में कहा गया है कि हांगकांग में चीन एकतरफा और मनमाने ढंग से पुलिस और सुरक्षा शक्तियों का प्रयोग कर सकता है।

हाल के महीनों में चीन ने कनाडाई, ऑस्ट्रेलियाई, जापानी नागरिकों को हिरासत में लिया है। इन लोगों में से कई पर ड्रग्स, सीक्रेट डेटा चुराने का मनगढ़ंत आरोप भी लगाए गए हैं। ऐसे में ब्रिटेन और अमेरिका को भी अपने नागरिकों को परेशान किए जाने का डर सता रहा है।

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