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China: सीमा पर तनाव के बावजूद चीन ने इस भारतीय के आगे झुकाया सिर, जानिए क्या थी वजह

नई दिल्ली। चीन और भारत के बीच चल रहे सीमा विवाद को देखते हुए दोनों देश की सेनाएं LAC पर आमने-सामने खड़ी हैं। बीते दिनों चीन द्वारा चली गईं चालों से सबक लेते हुए भारत अब चीन के झांसे में नहीं आने वाला और इसीलिए सीमा पर सैन्य बलों को हटाने से पहले चीनी सैनिकों को पीछे जाने के लिए कह रहा है। चीन भारत के इस जिद्दी रूख से बौखलाया हुआ है, और उसकी हालत पस्त है। बता दें कि दोनों देशों के बीच तल्ख रिश्तों के बाद भी चीन(China) एक भारतीय(Indian) के लिए अपना सिर झुकाता है। दरअसल पूर्व में एक ऐसे भारतीय रहे हैं, जिनके आगे चीन आज भी सिर झुकाता हैऔर उन्हें नमन करता है। उनका नाम डॉ द्वारकानाथ कोटनिस है। 11 अक्टूबर को कोटनिस की 110वीं जयंती थी। इसी को लेकर चीन ने उन्हें नमन किया। बता दें कि चीन ने रविवार को भारतीय चिकित्सक द्वारकानाथ कोटनिस की 110वीं जयंती मनाई। चीन डॉ द्वारकानाथ कोटनिस का बहुत सम्मान करता है। चीन में हर साल डॉ द्वारकानाथ कोटनिस की जयंती मनाई जाती है।

 

दरअसल माओ त्से तुंग के नेतृत्व में हुई चीनी क्रांति और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चीन में भारतीय चिकित्सक द्वारकानाथ कोटनिस ने अपनी सेवाएं दी थीं। महाराष्ट्र के शोलापुर के रहने वाले कोटनिस द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा चीन की मदद के लिए भेजे गये डॉक्टरों के पांच सदस्यीय दल में 1938 में चीन आये थे। इन्होंने बिना किसी स्वार्थ के चीनी सैनिकों की सेवा की। जिसे देखकर वहा के सैन्य अधिकारी भी हैरान थे।

बाद में डॉ द्वारकानाथ कोटनिस 1942 में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो गये थे। लेकिन, इसी साल उनका निधन भी हो गया। जब उनकी मौत हुई तो उनकी उम्र 32 साल थी लेकिन, इतनी ही उम्र में ही कोटनिस चीन में अपनी ऐसी छवि बना गए कि चीन आज भी उन्हें याद करता है। उन्हें चीन में ‘के दिहुआ’ के नाम से जाना जाता है।

उनकी जयंती के मौके पर चीन की सरकार की आधिकारिक संस्था ‘चाइनीज पीपल्स एसोसिएशन फॉर फ्रेंडशिप विद फॉरेन कंट्रीज’ (सीपीएएफएफसी) ने ऑनलाइन जयंती उत्सव मनाया। इसमें चीनी दूतावास के वरिष्ठ अधिकारी मा जिया और चीनी तथा भारतीय विश्वविद्यालयों के शिक्षकों, छात्रों और मीडिया प्रतिनिधियों ने भी ऑनलाइन समारोह में भाग लिया।

आपको बता दें कि कोटनिस ने चीन में अपनी सेवाएं देने के दौरान मरीजों की सेवा करने वाली एक नर्स गुओ क्विंग लांग से शादी की थी। वह बाद में वहां की कम्युनिस्ट पार्टी में भी शामिल हुए। लेकिन, ज्यादा दिन पार्टी के साथ नहीं रह सके। 1442 में मिरगी का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई।

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