बीजिंग। भारत के कड़े रुख के कारण पूर्वी लद्दाख के इलाकों पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे चीन की हेकड़ी निकलती दिख रही है। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा है कि चीन और भारत 2020 से पूर्वी लद्दाख में जारी सैन्य गतिरोध के कारण खराब हुए संबंधों को सुधारने के करीब हैं। चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि गलवान समेत पूर्वी लद्दाख के 4 इलाकों से चीन और भारत के सैनिक हटे हैं। माओ निंग ने कहा कि बाकी इलाकों से भी सेना हटाने के मसले पर चीन और भारत के बीच बातचीत जारी है। चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता के अनुसार चीन और भारत के बीच एलएसी पर स्थिति स्थिर और नियंत्रण में है।
इससे पहले भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में मुलाकात और बातचीत हुई थी। इस मुलाकात के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया था। चीन के विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार वांग यी से बातचीत के दौरान अजित डोभाल ने कहा कि सीमा से लगे इलाकों में शांति और स्थिरता बनी रहनी चाहिए और एलएसी का सम्मान भारत और चीन के संबंधों को सामान्य बनाने के लिए जरूरी है। वहीं, वांग यी ने कहा कि चीन और भारत को अपनी आजादी पर दृढ़ रहने, सहयोग और एकता को मजबूत करने का काम करना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि चीन और भारत को एक-दूसरे को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।
अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि भारत और चीन व्यावहारिक नजरिए से मतभेद दूर करने की कोशिश के साथ ही मिलकर काम करने का सही तरीका खोजेंगे और संबंधों को स्थिर, स्वस्थ और विकास के रास्ते पर लाएंगे। चीन और भारत के बीच 2020 से रिश्ते खराब हैं। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीन और भारत की सेना के बीच संघर्ष भी हुआ था। जिसमें भारत के कर्नल बी. संतोष बाबू समेत 20 जवान शहीद हुए थे। चीन के भी 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे। इसके बाद भारत ने पूर्वी लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर बड़ी तादाद में सेना और हथियार तैनात किए। चीन ने भी सेना की तैनाती की। दोनों देशों के बीच सेना हटाने के मसले पर 21 बार कोर कमांडरों की बैठक हो चुकी है।