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Terroristan: पाक से दोस्ती की खातिर दुनिया को खतरे में डाल रहा चीन, नहीं होने दे रहा इस बड़े आतंकी पर कार्रवाई

xi jinping

न्यूयॉर्क। पाकिस्तान और चीन में दांत काटी दोस्ती की बात भला कौन नहीं जानता, लेकिन इस दोस्ती की खातिर चीन लगातार आतंकियों की तरफ से मुंह फेरकर बैठता रहता है। पहले कई बार उसने पाकिस्तान में बसे आतंकियों पर कार्रवाई के लिए संयुक्त राष्ट्र में लाए गए प्रस्तावों को वीटो किया। अब जैश-ए-मोहम्मद के टॉप आतंकी अब्दुल रऊफ अजहर पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर भी चीन का यही रवैया सामने आया है। अमेरिकी वित्त विभाग ने साल 2010 में ही आतंकियों की सूची में रऊफ का नाम डाला था। उसे वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद UNSC में प्रस्ताव भी लाया गया, लेकिन चीन इस मामले में हाथ पर हाथ धरकर बैठ गया।

जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख संचालक मुफ्ती अब्दुल रऊफ ही है। वो इंडियन एयरलाइंस के आईसी-814 विमान अपहरण कांड के दौरान 24 साल का था। उसने ही इसकी साजिश रची थी। रऊफ का इरादा अपने भाई मौलाना मसूद अजहर और उसके साथियों को भारत की जेल से छुड़ाना था। जैश का सरगना मसूद और उसके साथी रिहा कराकर उस वक्त अफगानिस्तान ले जाए गए थे। वहां से तालिबान ने इन सभी को सकुशल पाकिस्तान पहुंचा दिया था। जिसके बाद से ही मसूद अजहर कई बार भारत के खिलाफ धमकियां जारी कर चुका है और फिलहाल उसे पाकिस्तान सरकार ने कहीं छिपा रखा है।

आईसी-814 कांड के बाद से ही भारत ने अब्दुल रऊफ अजहर को 5 मोस्ट वांटेड आतंकियों की लिस्ट में रखा हुआ है। जैश के सारे आतंकी हमलों की साजिश रचने का काम रऊफ ही करता है। उसने 2001 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा, संसद, पठानकोट, नगरोटा और कठुआ हमलों की साजिश भी रची थी। पुलवामा में हुए बड़े आतंकी हमले की साजिश में भी अब्दुल रऊफ अजहर का नाम आया था। यहां तक कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की हत्या की साजिश भी उसने रची थी। उसके बाद कुछ साल रऊफ लापता था। बाद में वो फिर से पाकिस्तान में एक्टिव हो गया।

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