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भारत ने वैक्सीन डिप्लोमेसी में चीन को लगाई पछाड़ तो कोविशील्ड के बारे में ड्रैगन ने फैलाई अफवाह

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने सीरम इंस्टीट्यूट में आग लगने की घटना के बाद भारत के वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग क्षमता पर निशाना साधा है। ग्लोबल टाइम्स ने यह भी दावा किया है कि चीन में रहने वाले भारतीय चीनी वैक्सीन को तरजीह दे रहे हैं।

covishield and jinping

नई दिल्ली। भारत में वैक्सीनेशन प्रोग्राम युद्धस्तर पर चल रहा है। दो कोरोना वैक्सीनों को मंजूरी मिली है। इसमें भारत की अपनी कोवैक्सीन और एस्ट्राजेनेका-सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड शामिल हैं। इसके साथ-साथ भारत ने अपने पड़ोसी देशों की ओर भी मदद का हाथ बढ़ाया है। वो अपने करीब 10 पड़ोसी देशों को मुफ्त में वैक्सीन सप्लाई कर रहा है। भारत के इस कदम का पूरी दुनिया में स्वागत हो रहा है। जिन देशों को मदद पहुंच रही है, वे भारत के प्रति कृतज्ञता जाहिर कर रहे हैं। इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से लेकर अमेरिका समेत कई यूरोपीय देशों ने इस कदम की जमकर तारीफ की है। इन सबका कहना है कि भारत दुनिया से कोरोनावायरस को खत्म करने के लिए जिस तरह से काम कर रहा है, उसकी जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। बता दें कि ने हिन्दुस्तान भूटान, मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार और सेशेल्स, ब्राजील को वैक्सीन की लाखों डोज भेज रहा है। वहीं श्रीलंका, अफगानिस्तान, और मॉरिशस जैसे देशों को भी मुफ्त में वैक्सीन भेजी जाएंगी। ऐसे में चीन घबरा गया है। उसे लगने लगा है कि भारत की वजह से उसकी साख गिरती जा रही है। दरअसल इनमें से कई देश ऐसे हैं जो चीन के कर्ज में डूबे हैं और चीन इन पर किसी न किसी रूप से काबिज होता जा रहा है। अब चीन को लग रहा कि उसका वर्चस्व इन देशों से खत्म हो जाएगा। भारत की वैक्सीन डिप्लोमैसी से बौखलाए चीन ने अब सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिये हैं।

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने सीरम इंस्टीट्यूट में आग लगने की घटना के बाद भारत के वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग क्षमता पर निशाना साधा है। ग्लोबल टाइम्स ने यह भी दावा किया है कि चीन में रहने वाले भारतीय चीनी वैक्सीन को तरजीह दे रहे हैं। बीबीसी की रिपोर्ट के हवाले से ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया है कि पेशेंट्स राइट्स ग्रुप ऑल इंडिया ड्रग एक्शन नेटवर्क का कहना है कि सीरम ने कोविशील्ड को लेकर ब्रीजिंग स्टडी को पूरा नहीं किया है।

बता दें कि चीन ने बहुत कम रेट पर उन देशों को वैक्सीन देने का ऑफर दिया है, जहां वह राजनीतिक और आर्थिक रूप से अपने पैर पसारना और प्रभाव जमाना चाहता है। इसमें नेपाल और मालदीव शामिल है। इसके बाद भी ये देश चीन से वैक्सीन नहीं लेना चाहते। इसके पीछे चीनी वैक्सीन के खतरनाक साइड एफेक्ट हैं. खबर आई थी कि चीन की दोनों ही कोरोना वैक्सीनों में बेहद नुकसानदायक साइड एफेक्ट मौजूद हैं। चीन की वैक्सीन को लेकर नेपाल में ड्रग रेगुलेटर ने अभी तक मंजूरी नहीं दी है। जबकि, मालदीव सरकार के सूत्रों का कहना है कि चीन की तरफ से कोविड-19 वैक्सीन की किसी भी तरह की सप्लाई को लेकर कोई संकेत नहीं मिले हैं।

दरअसल, बीजिंग की दवा निर्माता कंपनी साइनोवैक, कोरोनावैक नामक वैक्सीन का बना रही है। ये वैक्सीन एक इनएक्टिवेटेड वैक्सीन है। यह वायरस के कणों को मार देता है ताकि शरीर का इम्यून सिस्टम वायरस के ख़िलाफ़ काम करना शुरू करे, इसमें गंभीर बीमारी के असर का ख़तरा नहीं होता है. पश्चिम में बनी मॉडर्ना और फाइजर वैक्सीन से अगर तुलना की जाए तो ये mRNA वैक्सीन हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि इनमें कोरोनावायरस के जेनेटिक कोड के हिस्सों को शरीर में डाला जाता है जो कि शरीर में जाकर वायरल प्रोटीन को सक्रिय करते हैं। इसमें पूरा वायरस नहीं होता है सिर्फ़ उतना होता है जो कि प्रतिरक्षा तंत्र यानी इम्यून सिस्टम को हमले के लिए तैयार करता है। लेकिन चीन अपनी विश्वसनीयता खो चुका है और कहा जा रहा है कि उसने वैक्सीन को लेकर जो आंकड़े बताए हैं उन पर यकीन नहीं किया जा सकता।

वहीं, भारत सऊदी अरब, साउथ अफ्रीका, ब्राजील, मोरक्को, बांग्लादेश और म्यांमार को वैक्सीन की सप्लाई कर रहा है, और तो और चीन के करीबी देश कंबोडिया ने भी भारत से वैक्सीन देने का आग्रह किया है। इससे साफ हो जाता है कि चीन की वैक्सीन पर उसके खास दोस्त भी यकीन नहीं कर रहे हैं। और तो और पाकिस्तान जोकि चीन के कर्जे में डूबा हुआ है वो भी कम दामों पर ड्रैगन से वैक्सीन नहीं ले रहा है। उसने अपने देश में टीकारण के लिए एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड को मंजूरी दी है।

उधर, भारत और अफगानिस्तान के बीच वैक्सीन को लेकर बातचीत जारी है। भारत का कहना है कि अफगानिस्तान में स्थानीय रेगुलेटर की तरफ से वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी मिल जाने के बाद उसे वैक्सीन की खेप की सप्लाई की जाएगी। भारत ने अफगानिस्तान को भरोसा दिलाया है कि वह उसकी प्राथमिकता सूची में ऊपर है। भारत की तरफ से 27 जनवरी को श्रीलंका को कोरोना वैक्सीन 5 लाख डोज दी जाएगी। बहरहाल, भारत ने कोरोना वैक्सीन को लेकर चीन को तगड़ी पटकनी लगा दी है।

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