नई दिल्ली। कश्मीर मुद्दे को लेकर पाकिस्तान यूएन के मंच का दुरुपयोग करना चाहता है। ऐसे में यूएनजीए के नए अध्यक्ष वोल्कन बोजकिर जब पाकिस्तान के दौरे पर गए थे तो उस वक्त पाकिस्तान ने धारा 370 और कश्मीर का मुद्दा उछालने की पूरी कोशिश की। लेकिन पाकिस्तान के उछलकूद को देखते हुए सोमवार को संयुक्त राष्ट्र आमसभा – यूएनजीए अध्यक्ष ने पाकिस्तान को शिमला समझौते की याद दिलाई।
उन्होंने कश्मीर सहित सभी द्विपक्षीय मुद्दों को हल करने के लिए शिमला समझौते का हवाला दिया। ये पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है। क्योंकि पाकिस्तान चाहता था कि तुर्की से अपनी दोस्ती का उपयोग वह यूएन के मंच पर कश्मीर मुद्दा उठाने के लिए करे। इसी खास मकसद से यूएनजीए के नए अध्यक्ष और टीम को पाकिस्तान बुलाया गया है।
दरअसल, तुर्की और पाकिस्तान के बीच दोस्ताना रिश्ता हैं। दोनों इस्लामिक देश हैं। तुर्की के डिप्लोमैट वोल्कन बोजकिर को जून में ही यू.एन.जी.ए. का अध्यक्ष चुना गया था। पाकिस्तान इस यात्रा को लेकर काफी उत्साहित था। पाकिस्तान को लग रहा था कि कश्मीर मुद्दे को हवा देने का यह सही वक्त होगा। इसके पहले एक बार ये दौरा टल गया था। सूत्रों ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले रहे कश्मीर विवाद को उठाने के लिए इमरान सरकार काफी समय से ऐसे मौके का इंतजार कर रही थी।
इसी के लिए यू.एन.जी.ए. अध्यक्ष को पाकिस्तान बुलाया गया था बोजकिर के साथ बैठक के बारे में पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी का इरादा साफ हो गया था जब उन्होंने कहा कि उनका फोकस कश्मीर के हालात को यू.एन.जी.ए. के सामने लाना होगा। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी कश्मीर मुद्दा जोर शोर से उठाया।
सूत्रों ने कहा भारत की निगाह यूएनजीए अध्यक्ष की पाकिस्तान यात्रा पर है। भारत ने कश्मीर मुद्दे के लिए यूएन के मंच का दुरुपयोग करने की पाकिस्तान की कोशिश का पहले भी पुरजोर विरोध किया है। चीन की मदद भी पाकिस्तान के काम नही आई है। भारत के पक्ष में ज्यादातर देशों का समर्थन है। हालांकि, तुर्की भी पाकिस्तान का साथ देता रहा है। लेकिन भारत का मानना है कि यूएनजीए अध्यक्ष के रूप में तुर्की के डिप्लोमैट का रवैया स्थापित मापदंडों के अनुकूल होगा।