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हिमाचल की पहाड़ियों में रात को गरजा राफेल, चीन की हालत हुई खराब

नई दिल्ली। सीमा विवाद को लेकर भारत और चीन के बीच कई महीनों से तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस तनाव को देखते हुए फ्रांस से हाल ही में मिले राफेल फाइटर जेट को अब भारतीय वायुसेना के पायलट पहाड़ी क्षेत्र में रात में उड़ाने का अभ्यास कर रहे हैं। आपको बता दें कि भारत सरकार ने फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल फाइटर जेट खरीदने का अनुबंध किया है। इस डील के तहत पहले चरण में भारतीय वायुसेना को 5 राफेल विमान मिल गए हैं जो 29 जुलाई को अंबाला पहुंचे थे।

अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि पहाड़ी इलाके में अभ्यास कर रहे राफेल फाइटर जेट्स को एलएसी से दूर रखा जा रहा है। इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि चीन के कब्जे वाले अक्साई चिन में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के रडार से उसकी फ्रीक्वेंसी की पहचान न हो जाए इसलिए ऐसा किया गया है।

एक एक्सपर्ट ने कहा, ”चाइनीज पीएलए ने अपने इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस रडार्स को अक्साई चिन में पहाड़ों के ऊपर लगाया है ताकि उन्हें बेहतर सूचना मिल सके, लेकिन युद्ध के समय राफेल के सिग्नेचर सिग्नल प्रैक्टिस मोड से अलग होंगे। पीएल के एयरक्राफ्ट डिटेक्शन रडार अच्छे हैं, क्योंकि उन्हें अमेरिकी एयरफोर्स को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।”

राफेल विमान दृश्य सीमा से दूर तक निशाना साधने वाले एयर-टु-एयर मिटियोर मिसाइल, एमआईसीए मल्टी मिशन एयर टु एयर मिसाइल और क्रूज मिसाइलों से लैस हैं, ये हथियार फाटर पायलट को दूर से ही हमले की सुविधा देते हैं। मिटियोर मिसाइलों का नो-एस्केप जोन मौजूदा मीडियम रेंज एयर-टु-एयर मिसाइलों से तीन गुना अधिक है। मिसाइल सिस्टम की रेंज 120 किलोमीटर तक है। स्काल्प डीप स्ट्राइक क्रूज मिसाइलों से बेहद दूर लक्ष्य को सटीकता के साथ टारगेट किया जा सकता है।

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